sad

कहानी : नजरिया

बहुत देर की खामोशी को तोड़ते हुए नील ने आख़िर बोलना शुरू किया “तुम खुश हो वहाँ?” नंदिनी ने बड़ी ही सहजता से कहा “हम्म, अनुराग मेरा बहुत ख्याल रखते हैं।” करीब 10 साल बाद अचानक एक रेस्टोरेंट में मिलना… Read More

running at sunset

कविता : जीवन है तो लड़ते रहना

जीवन है तो लड़ते रहना … थक कर बैठ न जाना तुम,कोशिश करते रहना दुनियां की मैराथन में तुमको धावक बनना है ज़मी ये काफी न होगा आसमां पर चलना है अभी तो ये शुरुआत, जंग तुम्हे है और लड़ना… Read More

book release ceremony

ग्रंथ लोकार्पण समारोह

सुरेश चंद्र कृत नाटक ‘ मन्दिर से अस्पताल ‘ पर हरिराम द्वारा संपादित पुस्तक ‘मन्दिर से अस्पताल : मूल्यांकन के विविध आयाम’ का लोकार्पण समारोह का आयोजन दिनांक 19 अगस्त 2023 को सिजुआर भवन , मंगला गौरी रोड, नारायण चूआ… Read More

karwa chouth

कविता : पति की आयु का व्रत

दर्द सहने की अब आदत सी हो गई है। प्यार किया है तो इसे सहना पड़ेगा। कांटो पर चलकर मोहब्बत को पाना पड़ेगा। बीत जायेंगे दुखभरे दिन कांटो पर चलचल कर। और मोहब्बत करने वाली को समाने आना पड़ेगा।। जब… Read More

lakshya

लेख : लक्ष्य

कहानी शिक्षा व्यवस्था में  व्याप्त अनियमता अनैतिकता अराजक व्यवस्था पर प्रहार करती है और सन्देश देती है कि किसी भी देश राष्ट्र समाज देश में  शिक्षा कि बुनियाद यादि निष्पक्ष मजबूत ईमानदार सामाजिक कल्याणकारी व्यवस्था नहीं है तो राष्ट्रीय समाज… Read More

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लेख : बेटी

कहानीकार  ने भारतीय समाज में बेटियो कि उपेक्षा भ्रूण हत्या बेटी बेटों में असमानता भ्रूण हत्या और उनके साथ हो रही ना इंसाफी को बड़े ही सजीव तरीके से इस कहानी के माध्यम से प्रस्तुत किया है ।साथ ही साथ… Read More

najariya

लेख : संवेदनाओं के फलक पर

भारत के माध्यम बर्गीय परिवार कि है जिसमे पति के न रहने के बाद उसकी अमानत उसकी संतानो कि परिवरिश और गिरते नैतिकता के समाज में स्वयं और पति के धरोहरों रक्षा कर पाना विधवा के लिये चुनैति और जीवन… Read More

jiwan

गीत : कलयुग भी सतयुग जैसा लग रहा

कलयुग भी सतयुग जैसा लग रहा विद्यासागर जी के कामों से। कितने जीवों के बच रहे प्राण उनकी गौ शालाओं से।। जीव हत्या करने वाले अब स्वयं आ रहे उनकी शरण में। लेकर आजीवन अहिंसा का व्रत स्वयं करेंगे उनकी… Read More

a man siting on sunset

जीवन भी गणित

हम और हमारे जीवन का हर पल किसी गणित से कम नहीं है, जीवन में जोड़ घटाव भी यहाँ कम कहाँ है, गुणा भाग का खेल तो चलता ही रहता है। कभी जुड़ना तो कभी घटना शेष भी रहता सदा… Read More