samaj(1)

कहानीकार  ने भारतीय समाज में बेटियो कि उपेक्षा भ्रूण हत्या बेटी बेटों में असमानता भ्रूण हत्या और उनके साथ हो रही ना इंसाफी
को बड़े ही सजीव तरीके से इस कहानी के माध्यम से प्रस्तुत किया है ।साथ ही साथ समाज में बेटियों कि सार्थक भूमिका सामाजिक
संतुलन के लिये आवशयक है को बड़े ही मार्मिक प्रकरण के साथ प्रस्तुत करने में सफलता पाई है ।कहानीकार का यह प्रयास सराहनीय
और सफल और सशक्त है जो  के अंतर मन को झकजबोरता हैं और मानवीय मूल्यों और उसकी संवेदनाओं के प्रति जाग्रत करने में
सफलता प्राप्त करता है।
पूनम प्रसव अवस्था में अस्पताल में डा से बड़ी ही करुण पुकार करती है मैडम जी अगर मुझे बेटी हुई तो मेरा पति शराब पीकर मुझे
बहुत मारेगा पिटेगा और अपमानित करेगा ।पूनम कि बात सुनकर डा आश्चर्य चकित और स्तब्ध क्योकि पूनम ने एक बहुत खुबसुररत
बेटी को जन्म दिया है ।देर शाम पूनम का पति आता है शराब के नशे में धुत गुस्से में बोलता है::अरे तू क्या बेटा पैदा करेगी मुझे पता
था हाँ मुझे पता था मैं जनता था तेरी औकात मै जानता था::पूनम अपनी नन्ही बेहद खूबसूरत बेटी को लेकर घर आयी तो उसकी
सास के ताने और उसके द्वारा दिया जाने वाला प्रताड़ना पति तो था ही अब सास भी नीम में करेला जैसा थी ।पूनम ने अपनी
खूबसूरत बेटी का नाम मनहर रखा मनहर स्वभाय से धैर्यवान और शालीन थी एक बार मनहर बीमार पड़ी तब पूनम कि सास ने
कहा::छोरी ही तो है मर जायेगी तो कौन सा अनर्थ हो जायेगा::अपने पति और सास के लाख विरोध के बाद पूनम अपनी फूल सी
बच्ची को लेकर सरकारी अस्पताल गयी वहां शुक्र था कि कुशल और व्यवहारिक डॉक्टर मौजूद रहते है जिनके समय रहते इलाज से
मनहर ठीक हो जाती हैं ।मनहर को लेकर पूनम घर लौटती है उसके पति का क्रूर रवैया और भी कठोर था।धीरे धीरे मनहर बड़ी होने
लगी लगभग तीन वर्ष बाद पुनः पूनम पुनः प्रसव के लिये अस्पताल में भर्ती हुई उसे डर रहता है कि यदि इस बार बेटी हुई तो क्या
होगा उसका जीना भी हराम हो जाएगा ।खैर पूनम ने इस बार एक स्वस्थ बेटे को जन्म दिया जिससे उसका पति और सास बड़े प्रसन्न
हुए बेटे जनने कि ख़ुशी में पूनम की सास पूनम का बड़ा ख्याल करने लगी मनहर कि पैदाईस पर उसे पति और सास के ताने मिले
मगर अब उसे गोद के लड्डू और देशी घी के पकवान मिल रहे थे ताकि बेटा और बेटे कि माँ स्वस्थ रहे मनहर जब भी अपने भाई के
पास जाती उसकी दादी पूनम कि सास हिकारत से उसे दूर कर देती ।धिरे धीरे समय बिताता गया बेटे को लाड प्यार और बेटी का
तिरस्कार जारी रहा।

बेटे का नाम राजा था उसे इतना लाड प्यार मिलने लगा कि वह उदंड और शरारती होने लगा वह मनहर को दांत काट लेता पिट देता
शिकायत करने पर दादी का क्रोध ::राजा भैया मारेगा भी और कटेगा भी और सुन छोरी आईंदा शिकायत कि तो हमसे बुरा क़ोई ना
होगा::मनहर और राज के स्कूल में दाखिले हुए राजा का दाखिला प्राइवेट अच्छे स्कूल में हुआ तो मनहर का दाखिला सरकारी स्कूल में
मनहर पड़ने में मन लगाती वही राजा कि शरारतों की प्रतिदिन शिकायते आने लगी वह इतना उदंड हो चुका था कि मिश्री लाल को
राजा पर हाथ उठाना पड़ा राजा ने पूरा घर अपने सर उठा लिया इधर मनहर स्कूल से ढेरों पुरस्कार पति गयी मिश्री लाल दुखी रहने
लगा उसको उम्मीद थी कि बड़ा होने के साथ राजा में सुधार हो जाएगा मगर ऐसा हुआ नहीं रजा एक नंबर का आवारा उदंड जिसके
कारण घर मोह्ल्ला कालोनी स्कूल सभी जगह वह अपनी आवारगी शरारतों का पर्याय बन चूका था।अब मिश्री लाल और उसकी माँ
कि सोच में परिवर्तन दिखाई देने लगा सदैव बेटे को प्राथमिकता देने वालो के मन में बेटी के प्रति संवेदना जगाने लगी।मनहर ने जी
एन एम का प्रशिक्षण प्राप्त कर कस्वे के अस्पताल में सेवा कार्य प्रारम्भ किया ।इधर मिश्री लाल ने अपने बेटे कि शरारतों पर अंकुश
लगाने के लिये उसका विवाह कर देता है मगर राजा कि शरारते कम होने कि वजाय बढ़ जाती है क्योकि उसकी पत्नी भी उसीके
अनुसार मिल जाती है।अंत में मिश्री लाल और पूनम बेटी मनहर के सरकारी आवास में रहने लगते है यह कहानी भारतीय समाज के
निम्न माध्यम वर्ग कि सच्चाई  बया करते है  जहाँ  नारी जाती जो स्वयं किसी कि बेटी है बेटी को अभिशाप  समझती है और बेटे को
वरदान जिस बेटे के आने कि ख़ुशी में मिश्री लाल शराब छोड़ देता है वही उसके बेटे को छोड़ बेटी के घर रहना पड़ता है यह घोर
अशिक्षा और पिछड़ेपन समाज में आज भी लड़कियों को अभिशाप समझा जाता है ।कहानी समाज में ब्याप्त रूढ़िवादिता और बेटियों
के प्रति हो रहे अन्याय पर अपनी लेखनी से प्रभावी प्रहार कहानी द्वारा किया है।

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