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बहुत देर की खामोशी को तोड़ते हुए नील ने आख़िर बोलना शुरू किया “तुम खुश हो वहाँ?” नंदिनी ने बड़ी ही सहजता से कहा “हम्म, अनुराग मेरा बहुत ख्याल रखते हैं।”
करीब 10 साल बाद अचानक एक रेस्टोरेंट में मिलना दोनों के लिए ही एक संयोग मात्र था और दोनों ही इस मुलाकात के लिए तैयार नहीं थे,साथ ही अब मिलने के बाद दोनों के पास ही कुछ ज़्यादा बात करने को नही है।
दोनों ने ही पढ़ाई साथ में की थी, और सामान्यतः कॉलेज में दोनों के बीच ही पहली रैंक का तमगा होता था कभी नीर टॉप करता तो कभी नंदिनी…दोनों साथ मे पढ़ते,साथ ही रहते,और दोनों का प्यार पूरे कॉलेज में जग जाहिर था, नंदिनी नीर को राखी बांधती थी,दोनों का घर मे भी आना जाना होता रहता था,कई बार तो नंदिनी नीर के घर मे ही खाना खाती थी, सब कुछ अच्छा ही था फिर अचानक इतनी दूरियां आ गई कि नंदिनी ने अपनी शादी में नीर को बुलाया तक नहीं था। नीर के आज मिलने पर नंदिनी को लग रहा था वो जोर से नीर के गले लग जाए और बोले कि “भाई तेरे साथ का वक्त सबसे अच्छा वक्त था तेरी कभी कोई गलती थी ही नहीं।” पर वो ऐसा कुछ भी नहीं बोल पाई थोड़ी देर तक दोनों बात करते है और वापस अपने अपने घर चले जाते है।
आज का दिन जब घर में बैठे-बैठे नंदिनी सोच रही है कि क्या थी मैं और क्या बन गई हूं…धीरे धीरे वो यादों में खो जाती है… वो कॉलेज के बेहतरीन दिन….और फिर पापा की तबियत खराब होने के कारण उसकी शादी तय होना। अनुराग बहुत पढ़े लिखे,समझदार,और दिल्ली में नौकरी करते थे, पर हर पढ़ा लिखा इंसान शिक्षित हो ये जरूरी तो नही,अनुराग नौकरी तो बाहर करते थे फ्रैंक और गुड लुकिंग भी थे, पर मन में उतनी फ्रैंकता न थी, उन्हें कभी भी नीर और नंदिनी की दोस्ती सही नही लगती था और शादी की बात सुनिश्चित होते ही अनुराग ने नंदिनी से सीधे- सीधे बोल दिया था कि उन्हें नीर से नंदिनी की दोस्ती पसन्द नही। नंदिनी ने गुस्से में कहा था कि “भाई है वो मेरा।” अनुराग ने भी जोर से जवाब दिया था “मुझे तो नही लगता।” नंदिनी ये सुन थोड़ा चकित हुई थी पर उसे लगा कि वो अनुराग को समझा लेगी, पर धीरे- धीरे बात और बिगड़ने लगी। अनुराग और नंदिनी में नीर को ले कर आये दिन लड़ाई होने लगी। नंदिनी कहीं न कहीं थोड़ा परेशान तो होती पर नीर के कई बार पूछने पर भी वो कुछ कह नही पाती और कब दोनों की दूरियां बढ़ती चली गई पता ही नही चला। हद तो तब हो गई जब कार्ड छपने के बाद अनुराग ने जिद पकड़ ली कि नीर को नंदिनी अपनी शादी में नही बुलाये… वरना अनुराग ये शादी नही करेगा। शादी की डेट फाइनल हो गई थी, पापा भी बीमार थे, नंदिनी ने वही किया जो अनुराग ने कहा। इस तरह शादी हो गई और कुछ महीनों के बाद नंदिनी अनुराग के साथ दिल्ली आ जाती है यहां वो देखती है कि अनुराग की ढेर सारी लड़कियां दोस्त है,जिनके साथ वो देर रात तक पार्टी करते है, डांस करते है और तो और कई बार तो वो दोस्त उन्हें घर तक छोड़ने आती थी और जब ये सब नंदिनी को पसंद नहीं आता और वो ये बात अनुराग से कहती तो अनुराग गुस्से से चिल्ला कर कहने लगते “ग्रो अप नंदिनी, वो लोग सिर्फ मेरी दोस्त है।” और नंदिनी मन में ही कहती “और वो मेरा भाई था, एक माँ का नही था पर उससे भी बढ़कर था।”
अचानक नंदिनी की आँखों में पानी आ जाता है। वो यादों से बाहर आती है और घर के काम में लग जाती है।

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