प्यार में देखो हम
कैसे फिसल जो रहे।
आपके प्यार में हम
क्यों बंधने लगे।
किस तरह से हम
अब सजने सभार ने लगे।
दो जिस्म को एक जान
क्यों कहने लगे।।
प्यार में देखो हम
कैसे फिसल जो रहे।।
जब से यौवन अवस्था में
किये है जो प्रवेश।
दिल दिमाग पर मेरे
कुछ कुछ होने लगा।
क्या इसे ही लोग
मोहब्बत कहते है।
धड़कने दिलकी जिसमें
धादक जाती है।।
प्यार में देखो हम
कैसे फिसल जो रहे।।
देखती है आँखे जब
भी हसीन चेहरा।
ख्याबों में बस फिर
तुम आ जाती हो।
और दिलकी वाणी के
तार छेड़ देते हो।
ताल और स्वर को
तुम मिला देते हो।।
प्यार में देखो हम
कैसे फिसल जो रहे।।
है मोहब्बत बड़ी एक
रंगीन सजा।
जिसमें हर कोई
रंग पाता नहीं।
पर जो रंगता है इसमें
यारो यहाँ।
जन्नत मिल जाता है
उसको जीवन में।।
प्यार में देखो हम
कैसे फिसल जो रहे।।