nazdik

कहा से हम चले थे
कहा हम आ पहुंचे है।
बुझाकर नफरतो के दीप
मोहब्बत जगा दिये है।
दिलो में दीप मोहब्बत के
हमने जला दिये है।
इसलिए तो हम और आप
करीब जो आ गये है।।

अमन और चैन का माहौल
बनाने हम जो निकले है।
एक सुंदर से देश को
बसने हम जो निकले है।
रहे जिसमें हिल मिलकर
सभी भाषा जातियों के लोग।
हम ऐसे देश का निर्माण
करने जा रहे है।।

रहे न इर्षा का भाव
किसी के भी दिल में।
जहाँ नफरतो को अब
कही जगह न हो।
जहाँ बरसता हो आपस में
लोगों में प्यार मोहब्बत।
हम ऐसे भारत को अब
बनाने जो जा रहे है।।

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