जन्मदिवस पर विशेष : आम आदमी की आवाज़ गीतकार ‘शैलेंद्र’

हिंदी सिनेमा में एक संवेदनशील गीतकार के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वाले महान गीतकार शैलेन्द्र जी का आज (30 अगस्त,1923-14 दिसंबर 1966) जन्मदिवस है। इनका पूरा नाम “शंकरदास केसरीलाल ‘शैलेन्द्र’ था’। ‘होठों पर सच्चाई रहती है, दिल में… Read More

खेल दिवस पर विशेष : खेल पर बनी फिल्में

आज राष्ट्रीय खेल दिवस है। हॉकी के महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के सम्मान में उनकी जयंती (29 अगस्त 1905- 3 दिसम्बर, 1979) के अवसर पर पूरे देश में इसे राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिंदी सिनेमा… Read More

महान मुकेश की पुण्य तिथि (27 अगस्त) पर विशेष

( महान संगीतकार शंकर-जयकिशन का यह व्यक्तिचित्र (पोर्ट्रेट) विश्व विख्यात वरिष्ठ चित्रकार प्रो. एस. प्रणाम सिंह Pranam Singh ने मेरी शीघ्र प्रकाशित होने वाली आगामी पुस्तक ‘सात सुरों का मेला’ हेतु विशेष रूप से अपनी तूलिका से गढ़ा है. उनका हार्दिक आभार… Read More

क्रिस्टोफर नोलन पर विशेष

Memento से लेकर Dunkirk तक का सफर बड़ा ही रोचक रहा। नोलन साहब ऐसे फिल्म निर्देशक, लेखक एवं प्रोड्यूसर हैं जिनकी प्रत्येक फिल्में मैंने देखी हैं। आगामी फिल्म #Tenet का भी बेसब्री से इंतज़ार है।  पूरी दुनिया इनके काम की… Read More

जन्मदिन पर विशेष : “पर्सनल से सवाल करती हैं” गुलज़ार के गीतों की भावनाएं

भूमंडलीकरण ऐसी विचारधारा है जो भारत में पश्चिम से उधार ली गयी थी। उसका प्रचार प्रसार यह ‘लॉलीपाप’ दिखाकर किया गया कि अब भारत के लोग भी विदेशी युवाओं की तरह ‘पिज्जा बर्गर’ और ‘मैगी’ खा सकेंगे और चमचमाती कारों… Read More

शोध लेख : स्वतंत्रता पूर्व हिंदी सिनेमा में नृत्य

मूक दौर में नृत्य हिन्दुस्तानी सिनेमा में नृत्य का समावेश कैसे हुआ और किस प्रकार किन पड़ावों से गुज़रते हुए उसने अपना सफ़र तय किया आदि की विस्तार से चर्चा करने से पूर्व यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि भारत… Read More

हिंदी सिनेमा में हिंदी की स्थिति

भारत जैसे बहुभाषी और बहु-सांस्कृतिक परंपरा वाले देश में सिनेमा की व्यापक पहुंच ने इसे लोगों के मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम बना दिया है और इसमें हिंदी भाषा का व्यापक योगदान है।  1931 में पहली बोलती फिल्म ‘आलम आरा’… Read More

फिल्म और वृत्तचित्र में अनुवाद की भूमिका

वैश्विक संदर्भों में अनुवाद की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। वर्तमान में वैश्विक सरोकारों के चलते अनुवाद एक आवश्यक सम्प्रेषण माध्यम बन चुका है। दरअसल दो अलग देशों, भिन्न संस्कृतियों, दो समुदायों के दो अलग भाषी लोगों के बीच… Read More

सिनेमा और अर्थव्यवस्था

जब कभी कला विशेषकर सिनेमा के बारे में बात की जाती है तो कुछ लोग ऐसा कहते है कि सिनेमा का अर्थव्यवस्था से कोई लेना देना नहीं है।  हालांकि जब हम सिनेमा की गहन समीक्षा करते हैं तो पाते हैं… Read More

हॉलीवुड की तुलना में भारत में साहित्य का फिल्मांतरण इतना कम क्योँ ?

यह बात अक्सर मुझे तंग करती रही है कि भारत में और विशेष रूप से मुख्यधारा के हिन्दी सिनेमा में साहित्य पर बनने वाली फिल्मों की संख्या इतनी कम क्यों है। वैसे तो यह संख्या हमेशा ही बहुत कम रही… Read More