आज राष्ट्रीय खेल दिवस है। हॉकी के महान खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के सम्मान में उनकी जयंती (29 अगस्त 1905- 3 दिसम्बर, 1979) के अवसर पर पूरे देश में इसे राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिंदी सिनेमा में भी खेल के विषय को लेकर बहुत सी एक से बढ़कर एक फिल्में बनी हैं। जिसने खेल की भावना को हमारे समाज में बढ़ाया है। इसने ‘खेलोगे कूदोगे होगे खराब, पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब’ की सोच को बिलकुल पलट कर रख दिया है। आज खेल से जितना नाम, सम्मान और पैसा मिल रहा है उतना शायद अन्य क्षेत्रों में नहीं। तो आईये जानते हैं कौन-कौन सी फिल्में हैं जो खेल पर बनीं हैं-
खेल पर बनी फिल्में
फिल्म खेल
- जो जीता वही सिकंदर साईकिल रेस
- शतरंज के खिलाड़ी शतरंज
- लगान क्रिकेट
- चैन कुली की मैं कुली क्रिकेट
- सुल्तान कुश्ती
- मुक्काबाज़ बॉक्सिंग
- गुरु बॉक्सिंग
- चक दे इंडिया हॉकी
- ब्रदर्स बॉक्सिंग
- साला खड़ूस बॉक्सिंग
- ढिशूम क्रिकेट
- चमत्कार क्रिकेट
- गट्टू पतंग
- कोई मिल गया बास्केट बॉल
- फ़रारी की सवारी क्रिकेट
- दन दना दन गोल फुटबॉल
- इक़बाल क्रिकेट
- जन्नत क्रिकेट
- विक्ट्री क्रिकेट
- पटियाला हाउस क्रिकेट
- अपने बॉक्सिंग
- बॉम्बे वेलवेट बॉक्सिंग
- चाँदनी चौक टू चाइना जूडो-कराटे
- हिप हिप हुर्रे फुटबॉल
- रेस कार रेस
- फास्ट एंड फ्यूरियस कार रेस
- स्ट्राइकर कैरमबोर्ड
- दिल बोडे हड़ीप्पा क्रिकेट
- हैट्रिक क्रिकेट
- ख्वाब डेयर टू ड्रीम दौड़
- हवा हवाई स्केटिंग
- अव्वल नंबर क्रिकेट
- गोल्ड हॉकी
- वज़ीर शतरंज
- बदलापुर बॉय्जस कबड्डी
खेल पर बनी बायोपिक फिल्में
फिल्म खेल बायोपिक
- सचिन ए बिलियन ड्रीम्स क्रिकेट सचिन तेंदुलकर
- एमएस धोनी द अनटोल्ड स्टोरी क्रिकेट एम.एस.धोनी
- अज़हर क्रिकेट मो. अज़हरुद्दीन
- सूरमा हॉकी संदीप सिंह
- पान सिंह तोमर दौड़ पान सिंह तोमर
- भाग मिल्खा भाग दौड़ मिल्खा सिंह
- दंगल कुश्ती गीता फोगाट, बबीता फोगाट
- मैरी कॉम बॉक्सिंग मैरी कॉम
आगामी दिनों में खेल पर बनी बायोपिक फिल्मों में क्रिकेट पर फिल्म ’83’ बन रही है जो कि ‘कपिलदेव’ पर आधारित है। बैडमिंटन खिलाड़ी ‘प्रकाश पादुकोण’ और ‘सायना नेहवाल’, टेनिस प्लेयर ‘सानिया मिर्ज़ा’, शतरंज खिलाड़ी ‘विश्वनाथन आनंद’, एक पैर से विकलांग पर्वतारोही ‘अरुणिमा सिन्हा’, माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली महिला पर्वतारोही ‘बछेंद्री पॉल’ आदि पर फिल्में बनने की बात चल रही है। सुनने में आया है कि अरुणिमा सिन्हा ने जब फरहान अख्तर से फिल्म से अपनी रॉयल्टी मांग ली तो फिल्म ही ठंडे बस्ते में चली गई है। खैर हाल ही में छः गोल्ड जीतकर चर्चे में आई दौड़ की खिलाड़ी ‘हिमादास’ और अब ‘पी.वी.सिंधु’ ने भी विश्व बैडमिंटन चैम्पियनशिप में गोल्ड जीतकर पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनने का गौरव हासिल किया है। इन दोनों ने ही जहां एक तरफ हमारे देश का मान बढ़ाया है वहीं फ़िल्मकारों के लिए भी बायोपिक बनाने का रास्ता भी खोल दिया है। खेल इंसान को इतना महान बना देता है कि आज के समय में वे दूसरों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन जाते हैं। इसलिए खेल ही नहीं बल्कि खेल भावना का भी हमारे जीवन में बहुत ज्यादा महत्व है। जिसे हमें अपनाना चाहिए क्योंकि-
“शतरंज मे वज़ीर और ज़िंदगी मे ज़मीर, अगर मर जाए तो खेल ख़त्म समझिए”।