जब कभी कला विशेषकर सिनेमा के बारे में बात की जाती है तो कुछ लोग ऐसा कहते है कि सिनेमा का अर्थव्यवस्था से कोई लेना देना नहीं है। हालांकि जब हम सिनेमा की गहन समीक्षा करते हैं तो पाते हैं कि शुरू से लेकर अंत तक इसका धन और अर्थवयवस्था से संबन्ध है। कला के जितने भी वर्तमान रूप हैं उनमें सिनेमा को अति विशेष महत्व प्राप्त है। किसी भी देश में बनने वाली फिल्में वहां के सामाजिक जीवन और रीति-रिवाज का दर्पण हुआ करती हैं। सिनेमा का बहुत बड़ा प्रभाव, देशों की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है। हालांकि सांस्कृतिक और राजनैतिक क्षेत्र में भी सिनेमा की भूमिका को अनेदखा नहीं किया जा सकता किंतु आर्थिक क्षेत्र में इसके प्रभाव को बहुत महत्वपूर्ण बताया जाता है। सिनेमा वास्तव में सिनेमाघरों, दर्शकों, निर्माताओं, कलाकारों और उससे होने वाली आय का एक समूह है किंतु वर्तमान समय में इसकी आय को विशेष महत्व प्राप्त है। विभिन्न देशों की सरकारें, सिनेमा से होने वाली आय को विशेष महत्व देती हैं। विश्व के कुछ देशों में विशेषकर संसार की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के स्वामी देशों के सकल घरेलू उत्पाद में फ़िल्म उद्योग की उल्लेखनीय भूमिका है।
उदाहरण स्वरूप भारत का बालीवुड सिनेमा, फ़िल्मों के उत्पादन में विश्व के देशों में सबसे आगे है। भारत में प्रतिवर्ष 900 से अधिक फ़िल्में बनती हैं। बालीवुड की फ़िल्मों को विश्व में बहुत लोकप्रियता प्राप्त है। क्षेत्रीय देशों में इसके बहुत से दर्शक पाए जाते हैं। भारत ने सिनेमा उद्योग में विदेशी पूंजी निवेश के लिए विशेष क़दम उठाए हैं। भारत में सिनेमा की आय, अधिकांश दर्शकों से ही होती है। भारत में बालीवुड की फ़िल्मों के प्रति विशेष लगाव पाया जाता है। एक प्रकार से यह कहा जा सकता है कि भारत में क्रिकेट के बाद, बालीवुड की फ़िल्में ही मनोरंजव का सबसे बड़ा साधन हैं। यदि आय की दृष्टि से देखा जाए तो विश्व में हालीवुड को सबसे बड़ा स्थान प्राप्त है। सन 2017 में हालीवुड की 728 फ़िल्मों ने 11 अरब डालर कमाए थे। वर्ष 2016 की तुलना में हालीवुड को फ़िल्मों की आय में 8 दश्मलव 2 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। फ़िल्मों के निर्माण की दृष्टि से भारतीय सिनेमा का स्थान, हालीवुड से ऊपर है क्योंकि हालीवुड में प्रतिवर्ष लगभग 700 फ़िल्में बनती हैं जबकि भारत में इनकी संख्या 900 से अधिक है। इस प्रकार फ़िल्मों के उत्पाद या निर्माण की दृष्टि से हालीवुड, विश्व के दूसरे स्थान पर है जबकि आय की दृष्टि से पहले स्थान पर। हालिवुड के आर्थिक मामलो के एक जानकार एडवर्ड जी स्टाइन का कहना है कि वास्तव में हालिवुड, पैसे बनाने की एक मशीन है।
अगर बात करे भारत की तो, बॉलीवुड में बनने वाली फिल्म न सिर्फ भारत में लोकप्रिय है और देखी जाती है बल्कि इसकी लोकप्रियता विदेशो में भी है, खासकर चीन और जापान जैसे देश तोह बॉलीवुड की फिल्मो को बहुत अधिक पसंद करते है । इसका उदाहरण हम अभी अभी साल 2017 में रिलीज़ हुई आमिर खान की फिल्म दंगल में दंगल ही मचा दिआ । फिल्म ‘दंगल’ के महावरी फोगाट यानी आमिर खान चीन में इस फिल्म का प्रमोशन भी करते नजर आए । चीन में अपनी पिछली कुछ फिल्मों की शानदार सफलता के बाद सुपरस्टार आमिर खान प्रमोशन के लिए पहुंचे हुए थे ‘दंगल’ ने भारत में कमाई के लगभग सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए थे हैं और इसे बीजिंग इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में दिखाया भी गया । यह पहली बार नहीं है जब आमिर खान की कोई फिल्म चीन में रिलीज हुई। आमिर खान की फिल्म ‘3 इडीयट्स’ चीन में बड़ी हिट साबित हुई थी, खासकर छात्रों ने इसे खूब पसंद किया था। ‘पीके’ ने यहां 10 करोड़ युवान (1।67 करोड़ डॉलर) का कारोबार किया था। भारतीय कलाकारों और चीनी एक्टर्स से सजी फिल्म ‘कुंग फू योगा’ और ‘बड्डीज इन इंडिया’ ने चीन में अच्छा व्यापार किया है । फिल्म ‘कुंग फू योगा’ चीनी सुपरस्टार जैकी चैन के अलावा भारतीय एक्टर सोनू सूद और दिशा पटानी भी नजर आए थे । आमिर की ‘दंगल’ ने भारत में 385 करोड़ रुपये की कमाई की है ।
बॉलीवुड में फिल्मों की सफलता उनकी कमाई से जानी जाती हैं। पहले के समय में कोई फिल्म 20 करोड़ का बिज़नेस कर लेती थी तो वह ब्लोक बस्टर मानी जाती थी। लेकिन आजकल तो फिल्मों का बजट ही 100 करोड़ से ऊपर होने लगा हैं। हाल ही में रिलीज़ हुई ‘टाइगर जिन्दा हैं’ का बजट भी 140 करोड़ था। बॉलीवुड की फिल्मों ने केवल भारत ही नहीं विदेशों में भी अच्छा बिज़नेस किया हैं। दुनिया में सबसे ज्यादा कमाई करने वाली भारतीय फिल्म ‘दंगल’ है। इस फिल्म ने घरेलू बॉक्स ऑफिस पर 542 करोड़ (ग्रोस) की कमाई की। फिल्म ने वर्ल्डवाइड 1325 करोड़ की कमाई के साथ कुल 1868 करोड़ की कमाई का रिकॉर्ड बना दिया। चीन में इस फिल्म को काफी पसंद किया गया, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी इस फिल्म की तारीफ की थी। सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में दुसरे नंबर पर आती है बाहुबली 2 – द कंक्लूजन, बाहुबली 2 को देखने के लिए दर्शक बहुत ज्यादा बेताब थे। क्योंकि बाहुबली जो पहले रिलीज हुई थी उसमें कुछ ऐसे सवाल छूट गए थे जिसका उत्तर आपको बाहुबली 2 में मिलता है। इसके चलते इसे बहुत ज्यादा लोगों ने देखा। इस कारण से इसकी कमाई ने आसमान को छू लिया और आज तक इसकी कमाई में कोई कमी नहीं आई है आज भी इसको बहुत ज्यादा देखते हैं। इस फिल्म ने करीब 1608 करोड़ रुपये की कमाई की थी। बाहुबली 2 बनाने में काफी मोटी रकम खर्च हुई थी, फिल्म रिलीज हुई थी तो किसी को यह उम्मीद नहीं की थी कि यह इतनी ज्यादा कमाई कर लेगी, लेकिन जब यह फिल्म रिलीज हुई तो ये फिल्म कमाई करने में आगे रही।
बॉलीवुड की तीसरी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म आमिर खान की ‘पीके’ है। 2014 में रिलीज ‘पीके’ ने भारत में 489 करोड़ (ग्रोस) और वर्ल्डवाइड 342 करोड़ की कमाई के साथ कूल 831 करोड़ की कमाई की।सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में चौथा नंबर है 2015 में रिलीज हुई फिल्म बाहुबली का जो अपने भव्य सेट और बेहतरीन कहानी की वजह से लोगों के बीच में सालों तक चर्चा का विषय बनी रही। फिल्म की दमदार कहानी के चलते इस फिल्म ने करीब 650 करोड़ की कमाई की थी।सलमान खान स्टारर ‘बजरंगी भाईजान’ पांचवी सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म है। इस फिल्म ने घरेलू बॉक्स ऑफिस पर 432 करोड़ (ग्रोस) रुपये की कमाई की। फिल्म ने वर्ल्डवाइड 193 करोड़ की कमाई के साथ कूल 626 करोड़ की कमाई की।
अगर हम वर्ष 2018 की बात करे, पद्मावत ने जहाँ 300 करोड़ से ज्यादा का कारोबार किया, वहीं सोनू की टीटू । । । ने 25 दिन में 100 करोड़ से ऊपर का कारोबार करके फिल्म उद्योग को आश्चर्यचकित किया। इन फिल्मों के अतिरिक्त अक्षय कुमार की ‘पैडमैन’ ने 80 करोड़ का कारोबार किया। जबकि अजय देवगन की रेड ने भी अच्छी शुरूआत दिखाते हुए 50 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया है। इस तरह से कमाई के लिहाज से देखा जाए तो बॉक्स ऑफिस ने 700 करोड़ से ज्यादा का कारोबार करने में सफलता प्राप्त कर ली है। हालांकि यह कमाई गत वर्ष के तीन माह में हुई कमाई से लगभग 80 प्रतिशत कम है।
संगीत भारतीय फिल्मो का एक अभिन्न अंग है। एक सामान्य भारतीय फिल्म में लगभग 5-6 गीत हो सकते है जिनमे से कई संयोजित नृत्य भी सकते है। भारतीय सिनेमा में संगीत राजस्व का एक प्रमुख स्रोत है। फिल्म के संगीत अधिकार अकेले एक फिल्म के राजस्व का 4-5% भाग तक हो सकते हैं। भारत की प्रमुख फिल्म संगीत कंपनियों में सारेगामा (ऎच एम् वी) , टी सीरीज , सोनी म्यूजिक और यूनिवर्सल म्यूजिक आदि हैं। व्यवसयिक रूप में फिल्म संगीत की बिक्री भारत के पूरे संगीत की बिक्री का 48% है।
विश्व के जिन 30 देशों में फ़िल्में बनाई जाती हैं उनमें एक ईरान भी है। ईरान में प्रतिवर्ष 70 से 100 फ़िल्में बनाई जाती हैं। इस प्रकार से ईरान, फ़िल्म निर्माण करने वाले देशों के बीच 5 से 15वें स्थान के बीच है। वर्तमान समय में ईरान में लगभग 300 सिनेमा हाल हैं। इन सिनेमा हालों में स्वदेशी फ़िल्में ही दिखाई जाती हैं और यहां पर विदेशी फ़िल्में लगभग न के बराबर ही प्रदर्शित होती हैं। ईरान में इस्लामी क्रांति की सफलता के बाद सरकार ने फ़िल्म उद्योग को प्रोसाहित करने के लिए उसकी आर्थिक सहायता की। यह कार्य “फ़ाराबी फ़ाउन्डेशन” के माध्यम से किय गया। “फ़ाराबी फ़ाउन्डेशन” एक ग़ैर सरकारी संगठन है जो इस्लामी सांस्कृतिक मंत्रालय के अधीन गतिविधियां अंजाम देता है। वास्तव में यह संगठन, सांस्कृतिक गतिविधियों में इस मंत्रालय के सहायक के रूप में कार्य करता है। ईरान में एक अन्य फ़िल्म निर्माता हैं मुर्तज़ा शाइस्ते। वे बहुत अनुभवी निर्माता हैं। मुर्तज़ा शाइस्ते का मानना है कि दर्शकों की संख्या को बढ़ाने में किसी निर्माता के अनुभव और उसकी शैली का प्रयोग बहुत महत्वपूर्ण होता है। वे कहते हैं कि अपने दृष्टिकोण और शैली में परिवर्तन करके 80 से 100 मिलयन दर्शकों की संख्या को 200 मिलयन तक पहुंचाया गया है।
कुल मिला कर देखा जाए तो जितना योगदान हमारे देश के सकल घरेलु उत्पाद में उत्पादन और सेवाओं का है उतना ही योगदान अब फिल्मो का भी दिख रहा है। हम इसी बात से इसका अंदाज़ा लगा सकते है के भारतीय फिल्मे विदेश में ही नहीं बल्कि विदेशी फिल्मे भी भारतीय बाज़ारो की तरफ रुख कर चुकी है और कई सारे देशी कलाकार विदेशी फिल्मो में भी कार्य कर चुके है। इससे यही पता लगता है के भारतीय सिनेमा न सिर्फ एक मनोरंजन का साधन है बल्कि अब इसका और अधिक महत्व भारत की अर्थव्यवस्था में भी देखा जा सकता है।
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