कभी ख्वाहिशों ने, फंसाया ज़िन्दगी को ! तो कभी ज़रूरतों ने, रुलाया ज़िंदगी को ! कभी राह में गैरों ने बिछाए कांटे दोस्तो, तो कभी अपनों ने, छकाया ज़िन्दगी को ! कभी ख्वाबों में खुश हो लिए हम यूं ही,… Read More
ग़ज़ल : मेरी आरज़ू रही
मेरी आरज़ू रही आरज़ू, युँ ही उम्र सारी गुज़र गई। मैं कहाँ-कहाँ न गया मगर, मेरी हर दुआ भी सिफ़र गई।। की तमाम कोशिशें उम्र भर, न बदल सका मैं नसीब को। गया मैं जिधर मेरे साथ ही, मेरी बेबसी… Read More
ग़ज़ल : फिर वही क़िस्सा सुनाना तो चाहिए
फिर वही क़िस्सा सुनाना तो चाहिए फिर वही सपना सजाना तो चाहिए यूँ मशक़्क़त इश्क़ में करनी चाहिए जाम नज़रों से पिलाना तो चाहिए अब ख़ता करने जहाँ जाना चाहिए अब पता उसका बताना तो चाहिए दिल जगाकर नींद में… Read More
ग़ज़ल : फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
मौत आई नहीं फिर भी मारा गया। खेलने जब जुआ ये नकारा गया।। हार कर भी कभी होश आया नहीं। कर्ज लेकर हमेशा दुबारा गया।। जिसको आदत जुआ की बुरी पड़ गई। समझो गर्दिश में उसका सितारा गया।। अब बचा… Read More
ग़ज़ल : छन-छन के हुस्न उनका यूँ निकले नक़ाब से
छन-छन के हुस्न उनका यूँ निकले नक़ाब से। जैसे निकल रही हो किरण माहताब से।। पानी में पाँव रखते ही ऐसा धुआँ उठा। दरिया में आग लग गई उनके शबाब से।। जल में ही जल के मछलियाँ तड़पें इधर-उधर। फिर… Read More
ग़ज़ल : कहाँ ले जायेंगे
अच्छे दिन वो जाने कब तक आयेंगे तबतलक हम खाक़ में मिल जायेंगे।। रोशनी पहुंचेगी जब तक इल्म की ये अन्धेरे और भी बढ़ जायेंगे।। वक्त का सूरज भी कितना सुस्त है सालोंं उगने में उसे लग जायेंगें।। सभ्यता ने… Read More
ग़ज़ल : चलते जा रहे हैं
ख़्याल सब के सब सिमटते जा रहे हैं उम्र से पहले समझते जा रहे हैं उनकी आंखों ने जिन्हे जी भर के देखा ख़ूबसूरत है वो कहते जा रहे हैं जो मयस्सर जिंदगी में अब न होंगे क्यूं उन्हीं का… Read More
ग़ज़ल : ज़िंदा रहे तो कल की सहर देखेंगे
गर ज़िंदा रहे यारो,तो कल की सहर देखेंगे रस्ते से हटे कांटे,तो अपनी भी डगर देखेंगे डर डर के जी रहे हैं बंद कमरों में आजकल, गर बदलेगा समां,तो आगे का सफ़र देखेंगे जाने आ जाएँ कब गिरफ़्त में करोना… Read More
ग़ज़ल : वो रूठ कर के
वो रूठ कर के आज हम से इस कदर चला गया कि जैसे आसमां से तारा टूट कर चला गया दिल-ओ-दिमाग मे मेरे बना के अपनी ही कब्र बिलखता छोड़ कर के कोई उम्र भर चला गया कि कल तलक… Read More
ग़ज़ल : जज़्बात जता कर क्या करते
किसी को जज़्बात, जता कर भी क्या करते यूं बिखरे अरमान, सजा कर भी क्या करते यारों न थी उन्हें मंज़ूर जब मोहब्बत हमारी, तो खामखा दिल को, सता कर भी क्या करते उनको तो चाहिए थीं यूं ही बरबादियाँ… Read More