कहानीकार ने भारतीय समाज में बेटियो कि उपेक्षा भ्रूण हत्या बेटी बेटों में असमानता भ्रूण हत्या और उनके साथ हो रही ना इंसाफी को बड़े ही सजीव तरीके से इस कहानी के माध्यम से प्रस्तुत किया है ।साथ ही साथ… Read More
लेख : संवेदनाओं के फलक पर
भारत के माध्यम बर्गीय परिवार कि है जिसमे पति के न रहने के बाद उसकी अमानत उसकी संतानो कि परिवरिश और गिरते नैतिकता के समाज में स्वयं और पति के धरोहरों रक्षा कर पाना विधवा के लिये चुनैति और जीवन… Read More
भीष्म साहनी – एक सांस्कृतिक चेतना पुरूष
भीष्म साहनीजी के स्मरण मात्र से उनकी कालजयी रचना “तमस” की याद ताजा हो उठती है। इस उपन्यास का एक पात्र नत्थू, मुराद अली द्वारा पांच रूपये लेकर सुअर मारता है,परन्तु दूसरे दिन, वही सुअर केलेवाली मस्जिद के सामने पडा… Read More
लेख : चहेती
निश्चित रूप से सयुक्त परिवारों में जिन बच्चों का जन्म होता है और लालन पालन होता है उन्हें जीवन समाज रिश्तों कि कीमत भाव भावना का अनुभुव अनुभूति से साक्षात्कार होता है सयुक्त का तात्पर्य ही होता है एक दूसरे… Read More
लेख : हिंदी सिनेमा में हिंदी भाषा का बदलता स्वरुप
सिनेमा भाषा के प्रचार-प्रसार का एक बहुत ही अच्छा माध्यम है। सिनेमा में हर तरह की हिंदी के लिए जगह है। फिल्म में पात्रों की भूमिका व परिस्थतियों को देखकर ही भाषा का प्रयोग किया जाता है। जिससे प्रारंभिक दौर… Read More
लेख : स्वतंत्रता से स्वछंदता तक
स्वतंत्रता इस संसार में सबको प्रिय है। हर जीव इसी आस और यतन में रहता है कि वह स्वतंत्र रहे। अधिकतर यह देखा जाता है कि स्वतंत्रता की चाह जब अधिक हो जाती है तो वह उसके ऊपर हावी हो… Read More
लेख : पुजारिन
साहित्य को बचपन युवा और प्रौढ़ कि जीवन यात्रा के रूप में समाज राष्ट्र में भाष भाव के समन्वय और और सामाजिक परिपेक्ष्य में रिश्तों में उसके महत्व को समझने में कहानीकार डॉ पालरिया का कोई जोड़ नहीं है डस्टबिन… Read More
लेख : रिश्तों का इंद्र धनुष
समाज में रिश्तों के बनते बिगड़ते आयाम और उसमे बिभिन्न मानवीय सम्बदनाओं को आज के स्पष्ट और भौतिकतवादी युग में उतार चढ़ाव कि मार्मिकता और कठोरता के सापेक्ष एक प्रयोगिग सत्य सन्देश यह कहानी देती है जहा व्यक्ति का स्वार्थ… Read More
व्यंग्य : हिँडी
मोहेश कुमारे भारत सरकार को बरसों से दुहते आये हैं , पूरे देश के हर आलीशान हिंदी सम्मेलन में इनकी उपस्थिति उसी तरह अनिवार्य होती है जैसे नाई और पंडित के बिना सनातन विवाह सुचारू रूप से सम्पन्न नहीं हो… Read More
लेख : खूबसूरत मन
खूबसूरत तन महत्व्पूर्ण है या खूबसूरत मन मूल्यवान खूबसूरत मन ईश्वर द्वारा प्रदत्त विरासत है जो प्राणी को सांसों धड़कन के शारीरिक अस्तित्व के अहंकार से अभिभूत कर आचरण कि संस्कृति संस्कार से बिमुख कर जीवन को भौतिकता के चकाचौध… Read More