bhasa-2023

भारत देश एक बहुभाषायी और बहुसांस्कृतिक देश है। यहाँ तकरीबन 19500 मातृभाषाएँ बोली जाती हैं। लेकिन भारत की जनगणना 2011 के आँकड़ों के अनुसार 122 भाषाएँ ही ऐसी हैं जो दस हजार से ज्यादा लोगों द्वारा बोली जाती हैं। देश की कुल 22 भाषाओं को ही संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करके आधिकारिक भाषाओं का दर्जा दिया गया है। इन 22 भाषाओं में हिंदी समेत तमिल, तेलुगु, मराठी, उर्दू, बंगाली इत्यादि भारतीय भाषाएँ शामिल हैं।
भारत को भौगोलिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से विभिन्न राज्यों एवं क्षेत्रों में बांटा गया है। यहाँ की अपनी-अपनी भाषाएँ हैं। जैसे – गुजरात की गुजराती, तमिलनाडु की तमिल, बंगाल की बंगाली, बुंदेलखंड की बुंदेली और पूर्वांचल की भोजपुरी इत्यादि।
” हर क्षेत्र की अपनी – अपनी भाषा होती है, जो वहाँ की संस्कृति की संवाहिका भी होती है। क्षेत्र विशेष के लोगों का अपनी भाषा के प्रति अटूट प्रेम भी होता है क्योंकि उनकी भाषा उन लोगों को दुनिया में अनोखी पहचान दिलाती है।”
भारत के हर क्षेत्र विशेष चाहे वह उत्तर भारत के राज्य हों या फिर दक्षिण भारत के राज्य, वहाँ के निवासी अपनी भाषा की पृथक पहचान को नहीं खोना चाहते हैं इसलिए भारत में भाषा की समस्या बनी हुई है।
भारत की संस्कृति को और यहाँ की भाषाओं को जितना दूषित अंग्रेजी ने किया उतना किसी अन्य किसी विदेशी भाषा ने नहीं क्योंकि अंग्रेजों का भारत पर 200 साल तक राज रहा है। अंग्रेज अधिकारी लॉर्ड मैकाले ने 1858 में भारतीय शिक्षा अधिनियम लागू किया तब ब्रिटिश अधिकारी ‘लूथर’ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उत्तर भारत में 97% साक्षरता है और ‘मुनरो’ ने कहा कि दक्षिण भारत में 100% साक्षरता है।
तब मैकाले ने कहा – ” यदि भारत को बहुत समय तक गुलाम बनाना है तो यहाँ की देशी और भारतीय शिक्षा व्यवस्था को समाप्त करना होगा और उसकी जगह अंग्रेजी शिक्षा व्यवस्था को लागू करना होगा। अंग्रेजी के लागू होने से भारत के लोग हमारे मानसिक गुलाम बनकर हमारे हित में काम करेंगें…..। ”
मैकाले की भाषा नीति और शिक्षा नीति के विरोध में भारतेंदु हरिश्चंद्र जी ने लिखा –
” निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति कौ मूल।
बिन निज भाषा ज्ञान के, मिटत न हिय कौ सूल।। ”
निज भाषा से ही कोई राष्ट्र अपना चहुँमुखी विकास कर सकता है। इसलिए सन 1949 में 14 सितंबर को भारत की संविधान सभा ने निर्णय लिया कि हिंदी भाषा और देवनागरी लिपि को भारत की राजभाषा का दर्जा दिया जाता है। हिंदी के राजभाषा होने को संविधान के अनुच्छेद 343 और 351 में परिभाषित भी किया गया।
हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का भी प्रयास किया गया लेकिन दक्षिण भारत विशेषकर तमिलनाडु में रामासामी और डी०के० के नेतृत्त्व में हिंदी विरोधी आंदोलन’ हुआ, जो सन 1946 – 50 तक चला।
क्षेत्रीय भाषाओं को महत्त्व देते हुए सबसे पहले सन 1953 में तेलुगु भाषी राज्य आन्ध्रप्रदेश का भाषा के आधार पर सबसे पहले गठन हुआ। फिर 1960 में बम्बई का विभाजन होकर महाराष्ट्र और गुजरात बने।
भारत में भाषा की समस्या अब वैसी नहीं रही है जैसी आजादी के समय थी। साल 2023 में भारत की आजादी के गौरवपूर्ण 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ कार्यक्रम मनाया गया। अमृत महोत्सव के तहत पूरे देश में सांस्कृतिक कार्यक्रम हिंदी के साथ क्षेत्रीय भाषाओं में भी हुए।
” साल 2020 में माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ जी के नेतृत्त्व में राष्ट्रीय शिक्षा नीति – 2020 लागू हुई। जिसमें प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में और तकनीकी एवं चिकित्सा शिक्षा हिंदी माध्यम में देने का विशेष प्रावधान किया गया। जो भारत की भाषा समस्या के समाधान और हिंदी भाषा के विकास के लिए युगान्तकारी पहल है। ”
14 सितंबर 2023 को हिंदी दिवस पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह जी ने कहा –
” हिंदी भारतीय भाषाओं की विविधता को एकता के सूत्र में पिरोती है…..। ”
वास्तव में हिंदी भारत की 49% आबादी द्वारा प्रयोग की जाती है। दुनिया की 6500 भाषाओं में से हिंदी दुनिया की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है, जो 85 करोड़ लोगों द्वारा बोली जाती है। शिकागो, लंदन, टोक्यो विश्वविद्यालयों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम हिंदी में पढ़ाए जा रहे हैं।
भारत के अलावा हिंदी दुनिया के इन देशों जैसे – फिजी, मॉरीशस, त्रिनिडाड, न्यूजीलैंड, अमेरिका, सूरीनाम, सिंगापुर आदि में प्रमुखतः से बोली जा रही है और शिक्षा का माध्यम भी है। मॉरीशस में तो ‘विश्व हिंदी सचिवालय’ भी स्थित है। ” आज हिंदी का युग चल रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के लागू होने से त्रिभाषा फॉर्मूला भी लागू हो गया और स्थानीय भाषाओं को शिक्षा का माध्यम बनाकर जहाँ उनको विशेष महत्त्व दिया गया, वहीं मेडीकल और इंजीनियरिंग की पढ़ाई का माध्यम हिंदी भाषा बनाकर देश की 49% आबादी के साथ न्याय किया गया। हिंदी सारे भारत में एकमात्र संपर्क भाषा के रूप में कार्य कर रही है और बाजार एवं रोजगार की भाषा बन रही। अब वो दिन दूर नहीं जब हिंदी भारत देश की राष्ट्रभाषा के पद पर आसीन होगी।
हिंदी दिवस के अवसर पर बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झाँसी के हिंदी विभाग, पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ एवं प्रज्ञा : द क्रिएटिव एवं लिटरेरी क्लब द्वारा दिनाँक 14 से 21 सितंबर 2023 तक हिंदी प्रतियोगिता सप्ताह में 15 सितंबर 2023 को आयोजित हिंदी निबंध प्रतियोगिता में लिखित निबंध प्रतियोगिता आयोजित की गई।

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