आज के ही दिन ठीक दो साल पहले भगवान महाकाल और सती के परम् भक्त राजा विक्रमादित्य की नगरी में अपुन मौजूद थे। दो साल पहले की इस घटना को यात्रा वृतांत या कहें संस्मरण का रूप देने का प्रथम… Read More
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व्यंग्य : ब्लैक स्वान इवेंट
“तुलसी बुरा ना मानिए जौ गंवार कहि जाय जैसे घर का नरदहा भला बुरा बहि जाय “ अर्थात बाबा तुलसीदास कहते हैं कि गंवार व्यक्ति की कही गयी कड़वी बात का बुरा नहीं मानना चाहिए , जिस प्रकार घर की… Read More
कविता : शर्मिंदा हूँ
मिजाज कुछ बदला-2 सा, नजर आ रहा है। मानो दिल में कोई, तूफान सा छा रहा है। जो तेरी नजरो में, मुझे नजर आ रहा है। लगता है पूरी रात, तुम सोये नही हो। तभी तो चेहरा मुरझाया हुआ आज… Read More
कविता : छोड़ आया
दिलके इतने करीब हो, फिर भी मुझसे दूर हो। कुछ तो है तेरे दिल में, जो कह नही पा रही हो। या मेरी बातें या मैं तेरे को, अब समझ आ नही रहा। तभी तो मुझ से दूरियां, तुम बनाती… Read More
कहानी : सदमा
दो महीने हो गये। शांति देवी की हालत में कुछ भी सुधार ना हुआ। पुरुषोत्तम बाबू को उनके मित्रों और रिश्तेदारों ने सुझाव दिया कि एक बार अपनी पत्नी को मनोचिकित्सक से दिखवा लें। पुरुषोत्तम बाबू को सुझाव सही लगा।… Read More
अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर विशेष
हिंदी का हित/अहित करती हिंदी संस्थाएं प्रत्येक हिंदी सेवी संस्था दम भरती है कि एक वही संस्था है जो हिंदी के लिये पूर्णत: और सत्य के अंतिम छोर तक समर्पित है, बाकी की संस्थाएं तो हिंदी के नाम पर पैसा… Read More
गीत : गुरु और शिष्य
गुरु शिष्य का हो, मिलन यहां पर, फिर से दोवारा। यही प्रार्थना है हमारा। यही प्रार्थना है हमारा।। गुरु चाहते है, कि शिष्य को, मिले वो सब कुछ। जो में हासिल, कर न सका, अपने जीवन में। वो शिष्य हमारा,… Read More
गीता में वर्णित कर्मयोग की वर्तमान में प्रासांगिकता
अति प्राचीन भारत की राष्ट्रीयता के मूल स्वरूप की सांस्कृतिकता को कोई भी आँधी आज तक हिला भी नहीं पाई है। इसीलिए शायद उर्दू कवि इकबाल कहते हैं। ‘कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी’ यही हमारी राष्ट्रीयता हमारी… Read More
कविता : यादों के लिए
तेरी यादों को अभी तक, दिल से लगाये बैठा हूँ। की तुम लौटकर आओगे। मेरे लिए नहीं सही तो, परायें के लिए ही सही। तभी आप की धरोहर, आप को सौप देंगे। और इस मतलबी दुनियाँ से, कुछ कहे बिना… Read More
गीत : मैं तो हूं केवल अक्षर
मैं तो हूं केवल अक्षर तुम चाहो शब्दकोश बना दो लगता वीराना मुझको अब तो ये सारा शहर याद तू आये मुझको हर दिन आठों पहर जब चाहे छू ले साहिल वो लहर सरफ़रोश बना दो अगर दे साथ तू… Read More