गुरु शिष्य का हो, मिलन यहां पर,
फिर से दोवारा।
यही प्रार्थना है हमारा।
यही प्रार्थना है हमारा।।
गुरु चाहते है, कि शिष्य को,
मिले वो सब कुछ।
जो में हासिल, कर न सका,
अपने जीवन में।
वो शिष्य हमारा, हासिल करे,
अपने जीवन में।
मैं देता आशीष शिष्य को,
चले तुम सत्य के पथ पर,
मिलेगा ज्ञान यही पर।।
गुरु शिष्य का मिलन…।
शिष्य भी पूजा करता,
अपने गुरु की हर दम।
उन्होंने मार्ग प्रशस्त किया,
मोक्ष् जाने का शिष्य का।
इसी तरह अपनी कृपा,
मुझ पर बनाये रखना ।
ऐसी है प्रार्थना गुरुवर ,
में सेवक हूँ गुरुवर का ।
में सेवक हूँ गुरुवर का ।।
गुरु शिष्य का ……।।
नगर नगर में श्रावक जन,
पूजा गुरु शिष्य की करते।
उनके बताये हुए मार्ग पर,
सदा ही हम सब चलते।
मिल जायेगा हमे भी,
शायद पापो से छुटकारा।
यही समझता मानवधर्म हमारा।
यही बतलाता मानवधर्म हमारा।।
गुरु शिष्य का मिलन यहां,
पर फिर से हो दोवारा।
यही प्रार्थना है हमारा।
यही प्रार्थना है हमारा।

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