आज के ही दिन ठीक दो साल पहले भगवान महाकाल और सती के परम् भक्त राजा विक्रमादित्य की नगरी में अपुन मौजूद थे। दो साल पहले की इस घटना को यात्रा वृतांत या कहें संस्मरण का रूप देने का प्रथम प्रयास किए हूँ। आपके सुझाव अपेक्षित रहेंगे। तो जी चलिए ले चलते हैं आपको महाकाल की नगरी उज्जैन। बात ये है कि हमें साहित्य के साथ-साथ घुमने फिरने का काम भी बहुते पसंद है। राहुल सांकृत्यायन की तरह घुमक्कड़ शास्त्र तो शायद हम कभी ना लिख सकें लेकिन घुमकड़ी जरुर कर सकते हैं। तो जनाब हुआ यूँ कि एक अंतर्राष्ट्रीय सेमीनार में पेपर पढ़ने के लिए हम रवाना हुए अजमेर से, अजमेर में रहने वाले एक अध्यापक और किरोड़ीमल कॉलेज के हमारे बहुते बहुते सीनियर माने 8-10 साल सीनियर से राब्ता हुआ। जो फ़िलवक्त अजमेर के सरकारी कॉलेज में प्रोफेसर हैं। तो जी अजमेर से हम ट्रेन में चल दिए उज्जैन अपने साहित्यिक काम निपटाने के बाद हमने वापसी में उज्जैयिनी के महाराज भोले बाबा की नगरी में भाँग पी ली प्रसाद स्वरूप। जो लगभग आधे एक घण्टे के बाद बुरी तरह चढ़ गई। हँस-हँस कर पेट फ़टे जा रहा था। कान भारी हो रहे थे। पैर भी कसे जा रहे थे। पर हम थे कि बड़बड़ाये जा रहा थे। माँ कसम कानों में लीड लगी हुई थी लेकिन उसमें गाना नहीं चल रहा था। फिर भी यूँ महसुसिया रहे थे कि कान फटते जा रहे हैं और फूल कर मैं मोटा हो रहा हूँ। मानों फूल कर फट जाऊंगा।
शरीर से सारे पाप ऐसे भाग रहे थे कि का बताएँ, भागते काहे नहीं। “भूत पिशाच निकट नहीं आवे, यम कुबेर जब नाम सुनावे। ” इतने गुनाह किये है कुछ तो जानबुझ कर किये हैं लगता है। पास में स्पीकर बज रहा था, जहाँ “छम-छम नाचे देखो वीर हनुमाना। ” उस समय यह कहानी फेसबुक पर बेहूदा तरीके से टाइप किये जा रहा था। फेसबुक मैमोरी से यह याद निकाल कर लाया हूँ। और अरे इसी बीच मैं देख रहा था कि मैं इतनी तेजी में टाइप कर रहा हूँ तो बीच-बीच में कुछ अक्षर गलत टाइप हुए जा रहे थे। और एक सैकिंड में सही कर ले रहा था। लगता था जैसे जिंदगी का आखरी वक्त हो। और महाकाल की धरती पर ही मेरा शरीर फट जाने वाला हो। एक बारगी लगा सती के 52 शक्तिपीठों पर मेरे भी अंग गिर जाएंगे। मेरे और सती का मिलन भक्त भगवान के रूप में होगा। अचनाक से भाँग उतरी और थोड़ा चेत आया। सब नॉर्मल फिर थोड़ा रुक कर विश्राम ले वापस वहीं से दिमाग में कहानी। झूठ नहीं बोलूँगा। ऐसा-ऐसा लगा था इसलिए साझा कर रहूँ। मजाक न समझें भाव और अनुभव को अनुभाव करना। महाकाल की नगरी में आकर भाँग पी लेना, मेरी याद आ जाएगी।
तभी देखता हूँ ये क्या अचानक हथौड़े चल चल रहे हैं। चढ़ रही है, उतरी रही है। साथ में सर हैं, उन्हें कहा भी था मैंने कि हाथ पकड़ कर ले चलना। लग रहा है किसी ने सर फोड़ दिया है। जैसे महाकाल का दंड है। मेरे शरीर से पाप रूपी मवाद निकल रही है। नहीं जानता साहित्यिक भाषा के रूप में ये किस शैली की है। लग रहा है शायद यात्रा वृतांत है। मैं माफ़ी भी नहीं मांग रहा शिव से, अपने किए गुनाहों की। इतना उद्दंड कैसे हो गया। अचानक से ऊँ नमः शिवाय रटने लगा। शिव के प्रकोप से बचने के लिए स्वतः निकल रहा है। फिर अचानक से फेसबुक पोस्ट पर ध्यान लगाया। बोला शिव ये पोस्ट डाल लेने दो। साथ में जो सर है उन्हें सैकड़ों बार बोला हूँ मेरी वीडियो बनाओ, फोटो खींचो। मरने के बाद संसार एक रावण का अंत फिर देख लेगी। फिर राम राज्य की स्थापना होगी। ये क्या तेजस टाइप की गति धीमी होती जा रही है इतनी गलतियां कैसे हो रही हैं। इससे पहले कभी नहीं हुई। इधर शिव चिल्ला पड़े रहे हैं। चलो पापी दुष्ट एक बार पुनः तुझे मार मेरे राम का राज्य स्थापित कर सकूं।
फिर सर को पुनः बोल रहा हूँ। चिल्ला-चिल्ला कर मुझे ले चलो यहाँ से वापस। मुझे कुछ नहीं पता सचमुच चढ़ गई है। मुहँ से कीड़े मकोड़े रूपी जानवर निकल रहे हैं, खून भी बह रहा है। सर फट रहा है। मैं कैसे कहूँ कैसे यकीन दिलाऊँ ये सचमुच है। हे ईश्वर प्राण बख्श दे, प्लीज़ एक बार। अंगुली पर नाग चढ़ गया है। क्या हो रहा है और पोस्ट समाप्त शिव-शिव करते हुए। ओम नमः शिवाय जपते हुए। मोक्ष मिल ही गया। हाँ इस पोस्ट का शीर्षक भी मिल गया। मोक्ष अब ये शायद कहानी की विधा है। ये क्या पुनः पोस्ट जारी है। शायद मोक्ष मुझे नहीं मेरे शरीर के 100 करोड़वें हिस्से को मोक्ष मिला हैं। नेट पैक बंद करके पोस्ट लिख रहा था। नेट ना खत्म हो जाए ये कहानी लिख कर पोस्ट कर दूँ। नेट ऑन किया नोटिफिकेशन आये फिर बंद कर दिया। पोस्ट लिखना जारी है। सम्पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति मेरे सभी गुनाहों की माफ़ी मिलने पर ही मिलेगी। कई सौ करोड़ जप-तप करना पड़ेगा। सालों साल तक तब मोक्ष मिलेगा।
कहानी खत्म पोस्ट अपडेट हो गया। जैसे ही सर ने एक लड़के का नंबर मांग जिनसे वे उज्जैन में मिले थे। सर गे हैं, माने समलैंगिक। इस राम राज्य के समय में ऐसा कैसे होंठ गीले हो रहे हैं। टेप लग रही है। सर नंबर मांगे जा रहे हैं। अचानक बोले मैंने कहा नहीं था भाँग मत पियो। तुम पागल हो गए हो। मैं सर से बोलता हूँ उसके पास चलो, उससे पूछो। इसको उतारने का क्या तरीका है। फिर सर बोले गोल गप्पे का पानी पी लिया ना इसी से उतरती है। बस पी लिया ना उतर गई। अब तुम फ़ालतू नाटक कर रहे हो बकवास कर रहे हो। मैं उठ कर चला जाऊंगा। मेरे होंठो से पानी रिस पड़ रहा है। आरती हो रही है पास के मंदिर में और इतनी आश्चर्य की बात है राम के युग में फेसबुक, मोबाइल। सर अपनी बीवी से बात कर रहे हैं, बता रहे हैं बस से आएंगे। ट्रेन में टिकट कैंसल हो गई है। आधुनिक जमाने का राम युग ऐसे कैसा हो गया है। समझ नहीं आ रहा। नहीं कलयुग है मन को समझाना चाह रहा हूँ। मन नहीं मान रहा, कह रहा है ये सतयुग में है सब। मंदिर के नगाड़े तेज और तेज हो रहे हैं खूब तेजी से बज रहे हैं। अब कंट्रोल कर रहा हूँ। सर ने ना कुछ बोल कर अपने भावोद्रेकों को फेसबुक पर अपडेट कर रहा हूँ। सर को चिढ हो रही है। मेरे फोन में घुस कर देख रहे हैं, मैं क्या लिख रहा हूँ। अचानक नगाड़ों के साथ अपनी तालियां बजा कर मिलन कर रहे हैं। एक नई धुन की खोज करने की कोशिश हैं। इस युग में भी शोध होते हैं। पी एचडी डिग्री मिलती है। अचानक बोल उठता हूँ, सर किस का नंबर मांग रहे थे। सर मुझसे शायद सचमुच खफ़ा गये हैं। ये क्या ? कौन से युग घूम आया हूँ। अरे कहीं कोई बात छूट तो नहीं गई। पोस्ट खत्म बस आ रही है या नहीं कुछ नहीं पता। सब चिल्ला रहे हैं या गई। अरे सच्ची आ गई। मेरे मुहँ से झाग निकल रहे हैं। सब डी0 डी0 एल0 जे की तरह बोल रहे हैं। जा सिमरन बस आ गई। पानी पिया सादा पानी तो आराम आया। या भांग चढ़ी हुई है कुछ नहीं पता। पानी कम है मुंह से झाग निकलना जारी है। ये नए देवता का जन्म हो गया है, ज्वाला माता का भाई कहलायेगा शायद। मैंने सर का बैग पकड़ लिया फिर से मुझे उल्टी होगी तब सब सही होगा। मुंह से छिपकली निकलेगी। ई ऊ ये क्या कोई ले जाना नहीं चाहता क्या। ये क्या 5 नंबर। सीट गीली लग रही है। लग रहा है बर्फ में धंसी जा रही है। वो बोल रहे हैं बारिश हो रही है लेकिन मैं तो बस में हूँ। फोन की शायद बैट्री अपने आप चार्ज हो गई। हुआ यूँ कि एक पानी बेचने वाला बोल रहा है, लिम्बु पी लो। मैंने कहा ये क्या होता है ? लिम्का पी, लो मैंने कहा लाकर दे दो 30 की जगह 50 रुपए ले लेना। बोला ले आओ शायद मेरा बैग मारना चाहता था। मुझे बस चलते ही उल्टी आई। सब मैल और पाप अब तक के यहाँ धोकर चला गया। 52 शक्तिपीठ और 12 ज्योतिर्लिंग घुमने पर मैं मोक्ष पा जाऊंगा शायद और आखरी मोक्ष होगा ये मेरा।

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