दुनिया को खुश रखते-रखते ख़ुद ही गम में डूब गया हूँ स्वार्थ भरी दुनियादारी से मैं अब मन से ऊब गया हूँ इतना भी आसान नहीं है हँसना और हँसाते रहना भीतर-भीतर टूटते रहना बाहर से मुस्काते रहना घर-परिवार-समाज है… Read More
कविता : हिंद देश की तपो भूमि
जिस धरती पर लेकर के जनम ईश्वर भी हैं हर्षित होते जहाँ अपनी लीला करने को हैं देवता आकर्षित होते जहाँ नदियों का पावन संगम जहाँ सागर गाते हैं सरगम जहाँ पर प्रकृति पूजी जाती जहाँ पत्थर में भी मिलें… Read More
कविता : गुरु की कृपा निराली
विद्यालय उपवन है ‘नैतिक’ शिक्षक इसके माली पुस्तक है दमदार उर्वरक बाग को दे हरियाली छात्र सुमन शोभा उपवन के लाल-गुलाबी-पीले नन्हे-मुन्ने, प्यारे-प्यारे कितने सुगंधित रंग-बिरंगे इन फूलों से सजती बाग की डाली विद्यालय उपवन है ‘नैतिक’ शिक्षक इसके माली… Read More
कविता : कैसे याद दिलाता नानी
मानव ने उत्पात मचाकर अब तक की मनमानी देखो आज करोना कैसे याद दिलाता नानी जब से इस अदृश्य विषाणु ने दुनिया को है काटा चौराहों पर खामोशी है सड़कों पर सन्नाटा धन-दौलत-सामर्थ्य सभी कुछ फिर भी है लाचारी हैं… Read More
गज़ल : गज़ब की तपिश
रुख हवाओं का ऐसे बदलने लगा सोना शीशे के साँचे में ढलने लगा लोग करने लगे कत्ल लग कर गले स्वार्थ रिश्तों को जमकर निगलने लगा देखकर उनकी रोटी परेशान हूँ दाल गलने लगी, मुल्क जलने लगा अब अँधेरे के… Read More
ग़ज़ल : ज़िंदगी
नकाब पर नकाब है, जनाब जिंदगी काटों भरा गुलाब है, जनाब जिंदगी दिन में दिखा देती है अँधेरा आजकल अजीब आफ़ताब है, जनाब जिंदगी अकसर मिला करती है बेवफाई बेशुमार कहने को लाजवाब है, जनाब जिंदगी दलान से दहलीज़ और… Read More
गीत : हे अधिनायक, सिद्धि विनायक
हे अधिनायक, सिद्धि विनायक कब लोगे अवतार हमारी आस तुम्हीं हो अटल विश्वास तुम्हीं हो स्वर्ग सरीखी इस धरती पर नर्क ने डाला डेरा पाप के हाथों पुण्य पराजित चारों ओर अँधेरा जग से अत्याचार मिटाओ करो पाप संहार हमारी… Read More
कविता : आज उसका ही बोलबाला है
आज उसका ही बोलबाला है जो सर से पाँव तक घोटाला है उसके घर रोज ही दिवाली है अपने घर रोज ही दिवाला है अपनी संसद है बगुले भक्तों की तन उजला है जिगर काला है सुना है मुल्क के… Read More
ग़ज़ल : मकबरे हैं यें
ज़िंदा दिखते मगर मरे हैं ये कुछ लगाकर हरे-हरे हैं ये मीठी बातों से संभलकर रहिए मन में कड़वा ज़हर भरे हैं ये गले लगकर के गला काटेंगे घात विश्वास में करे हैं ये मन मुताबिक हैं आपकी बातें जाने… Read More
गीत : आज फिर प्रकट होओ भगवान
आज फिर प्रकट होओ भगवान आज फिर प्रकट होओ भगवान कृषकों पर आफत की आँधी ग्वालपाल परेशान आज फिर प्रकट होओ भगवान आज फिर प्रकट होओ भगवान जिधर देखिए उधर आजकल चीरहरण होता है कौरव का दल हँसे ठठाकर पाँडव-दल… Read More