shree krishna janmastami poem

आज फिर प्रकट होओ भगवान
आज फिर प्रकट होओ भगवान
कृषकों पर आफत की आँधी
ग्वालपाल परेशान
आज फिर प्रकट होओ भगवान
आज फिर प्रकट होओ भगवान

जिधर देखिए उधर आजकल
चीरहरण होता है
कौरव का दल हँसे ठठाकर
पाँडव-दल रोता है

आज पुनः तुम बनो सारथी
हरो पाप के प्राण
आज फिर प्रकट होओ भगवान
आज फिर प्रकट होओ भगवान

पूरब-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण
कंसों का बहुमत है
झूठ-लूट, छल-छद्म से भारत
माँ का मन आहत है

फिर से धारण करो सुदर्शन
करो जगत-कल्याण
आज फिर प्रकट होओ भगवान
आज फिर प्रकट होओ भगवान

फिर से दो उपदेश, न झगड़ें
भाई अब भाई से
जाति-धर्म के भेद मिटें सब
आपकी अगुवाई से

हिंदू-मुस्लिम-सिक्ख-इसाई
सब हों एक समान
आज फिर प्रकट होओ भगवान
आज फिर प्रकट होओ भगवान

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