जिसने अथक परिश्रम करके खेत और खलिहान सजाया जिसने खून-पसीना देकर मिट्टी में सोना उपजाया खुद भूखे रहकर भी जिसने दुनिया को भर पेट खिलाया आज अन्नदाता आखिर क्यों खेत छोड़कर सड़क पे आया सैंतालिस से वर्तमान तक आईं-गईं, कई… Read More

जिसने अथक परिश्रम करके खेत और खलिहान सजाया जिसने खून-पसीना देकर मिट्टी में सोना उपजाया खुद भूखे रहकर भी जिसने दुनिया को भर पेट खिलाया आज अन्नदाता आखिर क्यों खेत छोड़कर सड़क पे आया सैंतालिस से वर्तमान तक आईं-गईं, कई… Read More
अ से फल अमरूद का मीठा आ से मीठा आम इ से खट्टी इमली बिकती ई से ईख के दाम उ से उल्लू, वह पक्षी जो रात-रात भर जागे ऊ ऊन का देख के स्वैटर सर्दी उल्टा भागे ऋ से… Read More
वो दिखने में हरा-हरा होगा, है ये मुमकिन, ज़हर भरा होगा। सबके रग-रग में अब रसायन है, भाव ज़िंदा कहाँ बचा होगा? मर चुका है ज़मीरोमन जिसका, कैसे समझूँ कि वो ज़िंदा होगा! इस तपिश से तो ऐसा लगता है,… Read More
राखी के धागों को कलाई भेजे हैं भइया तुमको बहुत बधाई भेजे हैं रक्षाबंधन पर्व नहीं बस तारों का रक्षाबंधन पर्व न बस उपहारों का भाई-बहन का प्रेम-पर्व रक्षाबंघन सच बोलूँ तो राजा है त्यौहारों का तार-तार होते रिश्तों के… Read More
महंगाई बढ़ रही है, संबंध घट रहे हैं वो हम से कट रहे हैं, हम उन से कट रहे हैं इतिहास हो गए अब आँगन के खेल सारे क्वार्टर के दायरे में, अब घर सिमट रहे हैं महफिल सजी-सजी पर,… Read More
सच नहीं वो जिसे सुना जाए सच नहीं वो जिसे लिखा जाए आँख देखा भी झूठ होता है कैसे ज़िंदा यहाँ रहा जाए इस कदर तार-तार रिश्ते हैं किसे अपना सगा कहा जाए एक चेहरे पे कई चेहरे हैं कैसे… Read More