वो दिखने में हरा-हरा होगा,
है ये मुमकिन, ज़हर भरा होगा।
सबके रग-रग में अब रसायन है,
भाव ज़िंदा कहाँ बचा होगा?
मर चुका है ज़मीरोमन जिसका,
कैसे समझूँ कि वो ज़िंदा होगा!
इस तपिश से तो ऐसा लगता है,
फिर किसी का जिगर जला होगा।
वहाँ यतीमों पर पाबंदी है,
तुझे भ्रम है वहाँ ख़ुदा होगा!