इस रात को भी वो तन्हा कर गया,
वो किस्सा मेरा सरेआम कर गया!!
सोचते थे जिसे हम ख़्वाब में ही,
वो खुद को हक़ीक़त कर गया!!
दे गया मुझे अपने तमाम दर्द,
वो दिन को भी रात कर गया!!
जो चाहते थे हमें हुस्न में फांसना,
नूर उनका हमें बेअसर कर गया!!
ना भूल पाएंगे करतूत कभी उनकी,
आज वो ऐसा काम कर गया!!
बिखेरता है अपने इश्क़ का जलवा मुझपे,
और फिर वो जिंदा को भी लाश बना गया!!
अनुज दूर रहें महोब्बत की नगरी से,
जाते हुए मुझे अब वो मशवरा दे गया!!