Varnmala in Hindi

से फल अमरूद का मीठा
से मीठा आम
से खट्टी इमली बिकती
से ईख के दाम
से उल्लू, वह पक्षी जो
रात-रात भर जागे

ऊन का देख के स्वैटर
सर्दी उल्टा भागे
से ऋषि-महर्षि देते
अच्छा-अच्छा ज्ञान

के एक-एक सूक्ति में
छिपा जगत-कल्याण
से ऐनक ढाल आँख का
करता अद्भुत काम
आँखों को राहत देता है
माथे को आराम

से ओखल में कुटता है
चावल, चूड़ा, धान
से औरत, महाशक्ति है
नत-मस्तक भगवान
हिंदी का अनुस्वार अं
‘नैतिक’ अंगूर बनाता
अः विसर्ग है आदि में रखकर
शब्द नहीं बन पाता

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One thought on “कविता : हिंदी के स्वर”

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