राखी के धागों को कलाई भेजे हैं
भइया तुमको बहुत बधाई भेजे हैं
रक्षाबंधन पर्व नहीं बस तारों का
रक्षाबंधन पर्व न बस उपहारों का
भाई-बहन का प्रेम-पर्व रक्षाबंघन
सच बोलूँ तो राजा है त्यौहारों का
तार-तार होते रिश्तों के इस युग मे
हम संबंधों की गहराई भेजे हैं
राखी के धागों को कलाई भेजे हैं
भइया तुमको बहुत बधाई भेजे हैं
दीदी घर आने की इच्छा पूरी है
लेकिन अपनी सीमा है, मजबूरी है
दिन में तारे गिनवाती मंहगाई में
पेट और परिवार भी बहुत जरूरी है
याद मुझे करके तुम बिल्कुल मत रोना
कविता में अपनी परछाई भेजे हैं
राखी के धागों को कलाई भेजे हैं
भइया तुमको बहुत बधाई भेजे हैं
अगले साल तो निश्चित छुट्टी आएँगे
तेरे हाथों से राखी बँधवाएँगे
तेरा मनचाहा उपहार दिलाएँगे
तेरे सारे शिकवे दूर हो जाएँगे
चल पगली अब अपना मुँह मीठा कर ले
हम भावों से भरी मिठाई भेजे हैं
राखी के धागों को कलाई भेजे हैं
भइया तुमको बहुत बधाई भेजे हैं