ज़िंदा दिखते मगर मरे हैं ये
कुछ लगाकर हरे-हरे हैं ये
मीठी बातों से संभलकर रहिए
मन में कड़वा ज़हर भरे हैं ये
गले लगकर के गला काटेंगे
घात विश्वास में करे हैं ये
मन मुताबिक हैं आपकी बातें
जाने जुमले या मसखरे हैं ये
हैं आलीशान पर बहुत सूने
हैं महल या कि मकबरे हैं यें