विद्यालय उपवन है ‘नैतिक’
शिक्षक इसके माली
पुस्तक है दमदार उर्वरक
बाग को दे हरियाली
छात्र सुमन शोभा उपवन के
लाल-गुलाबी-पीले
नन्हे-मुन्ने, प्यारे-प्यारे
कितने सुगंधित
रंग-बिरंगे इन फूलों से
सजती बाग की डाली
विद्यालय उपवन है ‘नैतिक’
शिक्षक इसके माली
अध्यापक जन अथक परिश्रम
से यह बाग सजाते
और सुमन सब, स्व-सुगंध से
सारा जग महकाते
गुरू-दृष्टि की बात अनोखी
गुरु की कृपा निराली
विद्यालय उपवन है ‘नैतिक’
शिक्षक इसके माली
जैसे कच्ची मिट्टी से
बर्तन कुम्हार बनाता
वैसे ही अध्यापक अपने
शिष्यों को चमकाता
गुरू ज्ञान से घोर अमावस
भी बन जाए दीवाली
विद्यालय उपवन है ‘नैतिक’
शिक्षक इसके माली
मैं भी सुमन इसी उपवन का
‘नैतिक’ कहते लोग
मुर्झाया-अधखिला हुआ हूँ
लगा है सूखा रोग
कोई मुझको भी सींचे,
दे ज्ञान-नीर की प्याली
विद्यालय उपवन है ‘नैतिक’
शिक्षक इसके माली