किस तरह शब-ओ-सुबह कह दूं तुम्हें तुम सिर्फ़ मेरी तुम दो तो कोई वजह कह दूं तुम्हे तुम सिर्फ मेरी ग़म – ए – गेसू की ये तह कह दूं तुम्हे तुम सिर्फ़ मेरी तुम ख़ुदा हो किस तरह कह… Read More
तुम देवी हो या चुड़ैल?
मै मानता हूं तेरा गुनाहगार हूं. तुम आज वर्षो बाद मिल रही हों. तुम्हें मुझसे कई सारी शिकायते हो रही है कि- “मैं कहा करता था कि तुम मेरी लिए देवी हो. मै तुम्हारें सिवाय किसी की इबादत कर ही… Read More
संस्मरण : परख
तुम देवी हो या चुड़ैल..? मै मानता हूं तेरा गुनाहगार हूं. तुम आज वर्षो बाद मिल रही हों. तुम्हें मुझसे कई सारी शिकायते हो रही है कि- “मैं कहा करता था कि तुम मेरी लिए देवी हो. मै तुम्हारें सिवाय… Read More
ग़ज़ल : इश्क़ में दो पल
इश्क़ में दो पल ज़रूरत से हां कुछ ज़्यादा लगेंगे इस जनम में गर नहीं तो उस जनम में हीं मिलेंगे लाख़ दुश्मन हो ज़माने में ज़ुदा कैसे करेंगे आशनाई की हिफ़ाज़त जब ख़ुदा ख़ुद ही रखेंगे गर जो … Read More
ग़ज़ल : धोखे से पाई सफलता
धोखे से पाई सफलता क्या सच में सफलता है? चांद बुलंदी पे है फिर भी दाग़ तो दिखता है रोज़ उसे ही लिखा मैंने कश्मकशीं देखों. इश्क़ मेरा वो किसी ओ को ही समझता हैं इश्क़ को मैंने जवानी का… Read More
वंदना : माँ सरस्वती
माता सरस्वती की महिमा अपरम्पार रे, तु तो श्वेत हंस पे करती सदा सवार रे, जिस पर तेरी कृपा दृष्टि बन जाती है, मूर्ख से मूर्ख भी बन जाता होशियार रे, कालिदास और तुलसी हुए कैसे विद्वान, तेरी कृपा दृष्टि… Read More
ग़ज़ल : ख़ामोश इश्क़
तलवार से नहीं किसी भी वार से नहीं. ख़ामोश इश्क़ मिटता है हथियार से नहीं. मैंने ये तो नहीं कहा तुम इश्क़ मत करो. गर तुम करो इश्क़ तो अधिकार से नहीं. देखूं मैं ख़्वाब में तुम्हें मतलब तो… Read More
कोरोना से जंग
कितनी जाने लेकर जाओगे तुम कोरोना, कितना और जुल्म बढ़ाओगे तुम कोरोना, बेबस -लाचारों की रोजी-रोटी को छीन कर, किस तरह से खुश रह पाओगे तुम कोरोना? हमारे ही कुछ अमानवीय, सतत् नरसंहार से, हो रहे जीव – जंतुओं पे,… Read More
कविता : मेरे गाँव की धरती
मेरे गाँव की धरती, रूठी-एकांत सी बैठी है। नित्य होते देख गाँव से शहर को पलायन, कुछ ठगी-ठगी, हैरान-परेशान सी बैठी है। लहलहाती खेतो में, निरस-उदास सी बैठी है। मुस्कुराती खिली कालियो में, बेबस-मुरझाई सी बैठी है। कल-कल नदी की… Read More
हम सब कामयाब हो जाएँगे…
क्लेश बाटेंगें तो, क्लेश ही पाएँगे। गर आनंद बाटेंगें तो, आनंद ही पाएँगे।। जिस दिन इस रहस्यमयी, प्रसंग को जान जाएँगे। उस दिन हम सभी, कामयाब हो जाएँगे !!1!! मिथ्या ज्ञान बाटेंगें तो, अंधकार हीं पाएँगे। गर सत्ज्ञान बाटेंगें तो,… Read More