कितनी जाने लेकर जाओगे तुम कोरोना,
कितना और जुल्म बढ़ाओगे तुम कोरोना,
बेबस -लाचारों की रोजी-रोटी को छीन कर,
किस तरह से खुश रह पाओगे तुम कोरोना?
हमारे ही कुछ अमानवीय, सतत् नरसंहार से,
हो रहे जीव – जंतुओं पे, सतत् दुर्व्यवहार से,
देख लो कोरोना आया हैं, समझाने सभी को,
अब तुम रहना सीख लो, सतत सदव्यावहार से।
हर एक व्यक्तियों मे दो – दो गज का अंतर हैं,
बाहर से आकर हाथों को, धोना उत्तरोत्तर है,
कोरोना ने विश्व में, एक संदेश भेज ही दिया,
इस विश्व में हमारे देश की संस्कृति बेहतर है।
कोरोने जैसी विपदा मे उमड़ रहे खलनायक,
सेवा करने वालों पे ये पत्थर मारते नालायक,
देश के प्रति हाकिम-सेना की समर्पण भावना,
देखकर दिल कहता ये है हमारे सच्चे नायक।
गर कोई भी विपदा आती है तो तुम डरना मत,
विपदा में उपाय बड़ा बुजुर्ग बताए, टालना मत,
बड़ी से बड़ी महामारी हार के चली गयी है बस,
वचनबद्ध हो कर घर के बाहर तुम रहना मत।

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