रिश्तों में भरोसा और मोबाइल में नेटवर्क न हो तो लोग गेम खेलने लगते हैं। (फ़िल्म ‘जज़्बा’)
जिंदगी भी कब कौन सा गेम खेल जाए पता ही नहीं चलता। अपने आप को भले ही हम कितना भी बड़ा खिलाड़ी समझे मगर सबसे बड़ा खिलाड़ी तो कोई और ही है। तभी तो आज भी ये लाइन बार बार एक टीस दे जाती है साथ ही जीवन के रहस्य को समझाती भी है।
बाबू मोशाय, जिंदगी और मौत ऊपर वाले के हाथ है जहाँपनाह, जिसे न आप बदल सकते हैं, न मैं। हम सब तो रंगमंच की कठपुतलियाँ हैं, जिनकी डोर उस ऊपर वाले के हाथों में है। कब, कौन, कैसे उठेगा, यह कोई नहीं जानता…।
अपने दमदार अभिनय और धीमे-धीमे बोलने के अंदाज़ से सबके दिलों पर अपना असर छोड़ने वाला साधारण से व्यक्तित्व का धनी कलाकार आज हमें छोड़कर चला गया। अभिनय की दुनिया में तो अभी कई और रंग बिखेरने थे। अपने बेहतरीन अदाकारी से हर बार की तरह हमारे दिलों पर राज करना था। अपनी एक अलग छाप से सबको और ज्यादा प्रभावित करना था। मगर आपका यूं चले जाना हम सभी सिने प्रेमियों के लिए बहुत बड़ा आघात है। इरफान आप बहुत याद आएंगे…