माता सरस्वती की महिमा अपरम्पार रे,
तु तो श्वेत हंस पे करती सदा सवार रे,
जिस पर तेरी कृपा दृष्टि बन जाती है,
मूर्ख से मूर्ख भी बन जाता होशियार रे,
कालिदास और तुलसी हुए कैसे विद्वान,
तेरी कृपा दृष्टि को देखता पूरा संसार रे,
कितनी भी विपदा निकट क्यो न आ जाए,
तु तो छूमंतर कर देती है विपदा का भार रे,
तु विद्या और संगीत की देवी इसलिए तो,
पूजते सभी संगीतकार और कलमकार रे,
हर युग में तेरी जरूरत नारायण को पड़ती,
तब जा कर करते हैं प्रभु नारायण संहार रे,
अपनी कृपा दृष्टि हम सब में बनाए रखना,
सच्चे इंसानों पे होने न पाए अत्याचार रे,