Are you a goddess or a witch?

मै मानता हूं तेरा गुनाहगार हूं.
तुम आज वर्षो बाद मिल रही हों.

तुम्हें मुझसे कई सारी शिकायते हो रही है कि-

“मैं कहा करता था कि तुम मेरी लिए देवी हो.
मै तुम्हारें सिवाय किसी की इबादत कर ही नहीं सकता.
मै सिर्फ़ तुमसे सिर्फ़ तुमसे प्यार करता हूं.”

बार बार कह रही हो कि-
मैं बिल्कुल सही चली गई थी, तुम्हें मुझसे कोई प्यार नहीं था. देखों आखिर भूल ही गए न.. बदल दी इबादत
आजकल सच्चा‌ प्यार रह ही कहा गया हैं?

आज तुम देखने आई हो कि मैं किसी और के साथ हूं.
तुम जी भर के तोहमतें तो लगा सकती हों.
मगर उसका क्या?
“जब तुमने मुझे वर्षो पहले,बीच मझधार में छोड़ दिया था?”
“हम तुम्हें देवी समझते थे.”

देवी का अर्थ जानती हो ..?
जो प्रेम की मूरत हो, जिसमे फरैब न हो छल न हों.
ममता से परिपूर्ण हों. हम जब तक ये गुण तुममें देखते
थे, तब तक दिल से तुम्हें ही देवी समझते थे. किसी और का ख़्याल तक दिल में नहीं लाते थें..! तुम्हारी ही इबादत करते थे.

क्या तुम्हें याद है..?
प्रेम प्रसंग को आगे बढ़ाते हुए कैसे तुमने कहा था कि-

“तुम लफ़्ज नहीं अहसास हों”
तुमने किस तरह से कहा था ध्यान से सुनना –

“तुम सिर्फ़ मेरे हों मेरे किसी और के हुए तो मार डालुंगी”

मैं तुम्हारे फरैब में कितना डूब चुका था. सारा दिन तुम्हारी खुशियों के बारे में सोचता था.
क्या तुम्हें याद है वो बोझिल सुबह जब तुमने मेरे मासूम से जज़्बातों के साथ खेला था?

मैं सुबह उठा ही था कि तुम्हें सुबह कि शुभकामनाएं दे दूं.
मगर तुमने कितनी आसानी से कह दिया था.

“हमें तुमसे कोई मोहब्बत नहीं है, हमें तुमसे कोई इश्क़ नहीं हैं.”

“हमारे अंदर तुम्हारे लिए कोई भी अहसास नहीं हैं.”

“मैंने तुमसे पूछा था कि जो सब बातें पहले होती थी वो क्या था? तुमने कितनी आसानी से कह दिया था कि ये तुम्हारी
ग़लती थी जिसे तुमने इश्क़ समझा.”

तुम्हें ख़्याल भी है कितना तड़प गया था मैं तुम्हारें इस तरह की बातों से तुमने विदाई तो मांग ली थी. मेरे अंदर यह भी हिम्मत नहीं थी कि तुम्हें रोक सकूं या तुमसे सवाल जबाव करू.

क्या तुम्हें पता है..?

“जब तुम किसी से प्रेम करते हैं गर उसे मालूम नहीं तो भी वह उसके लिए देवता ही रहता हैं.

किसी भी तरह तुमने अपने दिल की बात बता भी दी और उसने प्रेम संबंध को शुरूआत में ही मना कर दिया.
फिर भी वह उसके लिए देवता ही होता है..क्योंकि जरूरी तो नहीं कि वो भी तुमसे प्रेम ही करता हों..इसीलिए वो इबादत तो बन ही सकता हैं..कि-

“इश्क़ में दो पल जरूरत से कुछ ज़्यादा लगेंगे!
इस जनम में नहीं तो उस जनम में हीं मिलेंगे!!”

तुम्हें पता सबसे बुरा क्या होता है..?

“हम जिसे प्रेम करते हैं। वो हमें छल जाता है.
सभी झुठी बातें बोली जाती है.
वो हमारी जिंदगी में सिर्फ़ भावनाओं को ठगने आते हैं.
अपनी इबादत करवाने के लिए आते हैं,जब उनका मन
भर जाता है तो वह कुतर्क देकर चले जाते हैं.”

“मोहब्बत से इतनी नफ़रत हो थी
कोई उसका म बोले तो डर लगता था”

जब तुम किसी से प्रेम करते हो तो तुम्हारे भीतर
उसके प्रति देवताओं वाले भाव आ जाते हैं.

क्या तुमने कभी सोचा है..?

“जिसे हम प्रेम करते हैं वो देवता क्यूं लगता है..?”
क्योंकि हमारी नज़र में वो पवित्र दिखता है, उसकी बातों में देवताओं सा मिठास होता हैं। उसकी नज़रों में कोमलता होती है। उसकी अदाएं कुछ देवताओ की जादूगरी सी लगती हैं। ऐसा लगता है,उसके रोम रोम मे प्रेम भरा हैं.
छवि ऐसी लगती है जैसे कि बस निहारते रहों.

तुमने क्या किया ..?
छल, कपट फैरेब,जो भी पूर्व की बातें बताई थीं सब झूठी, अपनी बातों से विमुखता , एक बार मजबूरी होती तो हम तुम्हारा सहयोग भी करते, मगर तुमने तो हां साफ कह दिया था कि मेरे दिल मे तुम्हारे लिए कुछ भी अहसास नहीं हैं.
उस वक्त हमारे भीतर क्या बीती होगी कभी सोचा है..?

तुम्हीं बताओ क्या यह एक देवी के गुण थे, या फिर एक याक्षिणी , चुड़ैल के गुण थें..जिनमें कूट कूट कर फरैब धोका भरा होता हैं. जो अपनी मनमानी इबादत करवाते हैं। जब तक उनका मन भर जाता है तो उसी का खून चूसते हैं या उसी को सताते हैं. अर्थात् जीवन भर एक सदमा और भय देकर चले जाते हैं. जो बार-बार डर बनकर बुरे सपने की तरह जगा देता हैं.

सुनो मैं सिर्फ नारी जाती का हि नहीं पुरूष जाती के लिए भी कह रहा हूं.
अगर पुरूष भी ऐसी घटनाओं को अंजाम देता हैं तो वह कालपुरूप एक भूत के साए के कि तरह उस स्त्री को पकड़ लेता है जो बड़ी शिद्दतों से छूटता है.

जो मेरे भीतर तुम्हारे लिए दिल से इबादत थी, वो स्वत: ही मन के भीतर से खत्म हो गई. इसका कारण वह बदलकर तुम्हारे स्वरूप को किसी और ही रूप में परिवर्तित कर दिया..! जहां से इबादत का ख़्याल मर जाता है, सिर्फ़ एक ही ख़्याल दिखता है मन में जो चुड़ैल सवार है इससे कैसे छुटकारा मिले.

इसीलिए आज तुम यह मत कहों. कि मैंने इबादत बदल दी,
असल बात यह है कि तुमने देवी होने के सारे गुण ही खो दिये, जिसके खातिर मेरे अंदर सच्ची इबादत की भावना थी। जाते-जाते अंतिम बात कहना चाहता हूं-

“कोई किसी के बगैर मरता तो नहीं मगर आत्मा मर जाती हैं”
सच्चा इश्क़ देवी के लिए और सच्ची नफ़रत चुड़ैल के लिए
हमेशा जिंदा रहती है वो कभी नहीं मरती.”

ये खुद तय कर लेना कि तुम देवी हो या चुड़ैल

About Author

2 thoughts on “तुम देवी हो या चुड़ैल?”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *