ji kar dekhege

ग़ज़ल : हम भी मर के देखेंगे

न किया जो अब तलक,वो कर के देखेंगे अब हम भी किसी पर यारों,मर के देखेंगे ज़िन्दगी गुज़ार दी बस तन्हाइयों में हमने, अब मोहब्बत का दरिया में भी,उतर के देखेंगे हमने देखे हैं जाने कितने ज़फाओं के मारे अब… Read More

sas bahu

कविता : सास बहू का रिश्ता

सास बहू का रिश्ता में तुम को समझता हूँ। हर घर की कहानी तुमको मैं सुनाता हूँ। सुनकर कुछ सोचना, और कुछ समझना। सही बात यदि मैंने कहीं हो तो बता देना।। सास-बहू का रिश्ता बड़ा अजीब होता है। बहू… Read More

chamcha

व्यंग्य : “शाह का चमचा”

“बने है शाह का चमचा, फिरे है इतराता वरना आगरे में ग़ालिब की हस्ती क्या है” मशहूर शायर मिर्जा गालिब ने जब ये फरमाया था तब बादशाह की उनपे नूरे नजर थी, लेकिन वक्त ने ऐसी करवट बदली कि मिर्जा… Read More

ravan

गीत : रावण को भी सुने

रावण कहता है एक बात मेरी सुन लो। क्यों वर्षो से मुझे यूं जलाये जा रहे हो। फिर भी तुम मुझे जला नहीं पा रहे हो। हर वर्ष जलाते जलाते थक जाओगे। और एक दिन खुद ही जल जाओगे।। मैंने… Read More

gyan

कविता : पहचान

हृदय में करुणा भर कर सबका सम्मान रूप और यौवन पर मत कर अभिमान परिश्रम से ही होता हर स्वप्न साकार ईर्ष्या और घृणा से मिलता नहीं प्यार ज्ञान से ही संभव है मनुज का उत्थान कर्मों से ही बनती… Read More

dost

ग़ज़ल : तो अच्छा होता

कभी आगे का ख़्याल करते, तो अच्छा होता कभी गुज़रा भी याद करते, तो अच्छा होता उजाड़ने का क्या है उजाड़ दो बस्तियां सारी, कभी तो कुछ आबाद करते, तो अच्छा होता औरों की अमानत को न उड़ाइये यारों में… Read More

rishte

कविता : रिश्तों को बनाये रखें

रिश्तो का बंधन कहीं छूट न जाये। और डोर रिश्तों की कहीं टूट न जाये। रिश्ते होते है बहुत जीवन में अनमोल। इसलिए रिश्तो को हृदय में सजा के रखें।। बदल जाए परिस्थितियाँ भले ही जिंदगी में। थाम के रखना… Read More

fitrati duniya

ग़ज़ल : बड़ी फ़ितरती है दुनियाँ

बड़ी ख़ुदग़र्ज़,बड़ी फ़ितरती है दुनियाँ, नफ़रतों के खम्बों पर,टिकी है दुनियाँ। किसी को ग़म नहीं धेले भर किसी का, ये बड़ी ही बेरहम,और बेरुख़ी है दुनियाँ। अब तो जीते हैं लोग बस अपने लिए ही, यारों औरों के लिए,मर चुकी… Read More

sahitya bik raha

गीत : साहित्य बिक रहा…

सोना चांदी हीरे मोती, तो तुम पहले बेच चुके। बचा हुआ था साहित्य, जिसको अब तुम बेच रहे। सब कुछ खत्म हो जायेगा, बस थोड़ा सा इंतजार करो। वो दिन भी अब दूर नहीं, जब स्वयं को ही खोजोगे।। क्योंकि,… Read More

ab ji nahi lagta

ग़ज़ल : अब क़ैदख़ाने में जी नहीं लगता

यारों अब तो क़ैदख़ाने में,जी नहीं लगता, अब तो मुफ़्त की खाने में,जी नहीं लगता। यारों दे रही हैं अब तो,हड्डियाँ भी जवाब, अब तो ज़िन्दगी बचाने में,जी नहीं लगता। पड़ गए हैं महफ़िलों में,जाने कब से ताले, अब कोई… Read More