ravan

लघुकथा : रावण का फोन

ट्रिंग.. ट्रिंग… हैलो जी, आप कौन? मैंनें फोन रिसीव करके पूछा मैं रावण बोल रहा हूँ। उधर से आवाज आई…। रावण का नाम सुनकर मैं थोड़ा घबड़ाया, फिर भी हिम्मत जुटाकर पूछ लिया-जी आपको किससे बात करना है? आपसे महोदय।… Read More

लेख : ज्ञानी और मोक्ष

हमारे विश्व गुरु भारत में हर दूसरा मनुष्य ज्ञानी है। उस दूसरे यानी ज्ञानी के सामने समस्या यह रहती है कि उसके हिसाब से पहले वाला कुछ समझना ही नहीं चाहता। इसलिए किसी से भी कुछ कहने के साथ ही… Read More

mataji

गीत : माँ के दर्शन से

जब मिले माता के दर्शन जब मिले प्रभुके दर्शन। देखकर गुरु प्रभु को हो जाता भक्त धन्य।।..२ ज़िंदगी की दास्तां, चाहे कितनी हो हंसीं बिन मां के कुछ नहीं, बिन प्रभुके कुछ नहीं।। क्या मज़ा आता गुरुवर, आज भूले से… Read More

TIRANGA

गीत : भारत भूमि वासी हैं

दर्द पराया जो अपनाए , भारत भूमि वासी हैं । ‘परहित सबके काम वो आए’ , भारत जन अभिलाषी हैं । मैं और मेरी खुशियां स्वर्णिम , गर्व फूली न समाती है । जन्म लिया भारत में मैंने , जिसकी… Read More

durgama

कविता : पूजो मातारानी को

करे जो पूजा और भक्ति नवरात्रि के दिनों में। और करते है माता की साधना और उपासना। तो मिलता है उन्हें सूकून अपने जीवन में। और हो जाती पूरी उनकी इच्छाएं इन दिनों में।। माता के नौ रूपों को जो… Read More

navratrii

नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं

ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।। जय माता दी। इस नवरात्रि मां दुर्गा आपको सुख समृद्धि वैभव और ख्याति प्रदान करें। +30

navratriprav

कविता : माँ के रूप अनेक

मन मंदिर में आन विराजो मेंहर वाली मातारानी। दर्शन की अभिलाषा लेकर आ गये हम मेंहर में। तुमको अपने दर्शन देने बुला लो हमें मंदिर में। हम तो तेरे बच्चे है काहे घूमा रही हो दुनिया में।। कितने वर्षो से… Read More

pitrvisarjn

गीत : पितृ दिवस में संकल्प ले…

पितृ दिवस चल रहे है तो करो एक नेक काम। लेकर अपने पूर्वजो के नाम गोद ले लो एक गौ माता को। और दे दो उस एक अभय दान सफल हो जायेंगे ये पितृ दिवस। और तभी मिल जायेगी उनकी… Read More

manjur

व्यंग्य : यक्ष इन पुस्तक मेला

दिल्ली का पुस्तक मेला समाप्त हो चुका था ,धर्मराज युधिष्ठिर हस्तिनापुर के अलावा इंद्रप्रस्थ के भी सम्राट थे ।अचानक यक्ष प्रकट हुए ,उन्होंने सोचा कि चलकर देखा जाये कि धर्मराज अभी भी वैसे हैं या बदल गए जैसे कि मेरे… Read More

uljhany

कविता : अपनी उलझने

न मन पढ़ने में लगता है न दिल लिखने को कहता है। मगर विचारो में सदा ये उलझा सा रहता है। करू तो क्या करू अब मैं समझ में कुछ नहीं आ रहा। इसलिए तो हमारा दिल अब एकाकी सा… Read More