insaff

कविता : अब अजस्र इंसाफ होगा

इंतजार बस इंतजार , राम का ही बस इंतजार । बढ़ रहा है ,बढ़ रहा है, हर ओर रावण अत्याचार। सह रहे हैं, सह रहे हैं, मुंह से कुछ ना कह रहे हैं । घाव जो फोड़े बने हैं ,… Read More

jhnda

गीत : झंडा ऊँचा हमारा है……

दिल में प्यार तुम्हारा है ,भारत को तू प्यारा है । झंडा ऊँचा हमारा है ,जग में सबसे ही न्यारा है ।। तीन रंग लिए फहरा करता , आंधी तूफां से नहीँ डरता । समय का पहिया आगे बढ़ता ,… Read More

kalm

कविता : क्यों करता हूँ कागज काले..??

क्यों करता हूं कागज काले …?? बैठा एक दिन सोच कर यूं ही , शब्दों को बस पकड़े और उछाले । आसमान यह कितना विस्तृत ..? क्या इस पर लिख पाऊंगा ? जर्रा हूं मैं इस माटी का, माटी में… Read More

narisakti

कविता : नारी को जाने और समझे

दिखाये आँखें वो हमें जब मनका काम न हो उसका। तब बहाना ढूँढती रही हमें शर्मीदा करने का। यदि इस दौरान कुछ उससे पूछ लिया तुमने। तो समझ लो तुम्हारी अब खैर नहीं है।। अलग अलग तरह के रूप देखने… Read More

sun light

कविता : सूरज देता है

सूरज की किरणें प्रकाश देती है। जीवो को जीने की ऊर्जा देती है। भूमि की नमी को दूर करती है। और फसलों को पकाती है।। दिन रात का अंतर हम लोग। सूर्य के प्रकाश से लगाते है। अंधरो में रोशनी… Read More

niswarath

कविता : नेकी का फल

चूमती है सफलता उस समय कदम। जब लक्ष्य हो अपना नेकी पर चलने का। है अगर निस्वार्थ भाव यदि स्वयं के अंदर। तो मिलेगा फल निश्चित अपने नेक कर्मो का।। देखकर बहुत जलते रहते है तुम से। पर तुम्हारे त्याग… Read More

aatmchintan

कविता : रीति रिवाज

रीति रिवाजो को अपनाना जरूरी है। सम्मान देना पाना भी जरूरी है। जो आपके संस्कारों को दर्शते है। और समाज में प्रतिष्ठा दिलाते है।। देखा देखी में खुदको मत झोंको। पहले स्वयं की चादर को देखो। फिर जिंदगी में आगे… Read More

maanchintan

कविता : मन में मैल हो तो

तन पर कपड़ा है पर मन में मैल। तो कैसे आयेगी शांति आपके मन के अंदर। करो आत्म मंथन स्वंय का तब खुदको पहचान पाओगें। और अपने मानव रूप को निश्चित ही समझ जाओंगे।। संगत और विचारो का बहुत महत्व… Read More

dosti

कविता : खड़ा हूँ दोस्त के लिए

दिलमें प्यास हो मिलने की तो वो अक्सर मिल जाते है। जमाने में इसी तरह से अपने दोस्त बनाते है। वो हमें याद करते है हम उन्हें भूल जाते है। मगर मिले की तमन्ना। सदा ही दिलमें रखते है।। मेरे… Read More

samuder

कविता : संतुष्ट नहीं हो पाता

नदी किनारे बैठकर देख रहा था पानी को। कैसे भागे जा रहा है ऊपर नीचे टेढ़े मेड़े रास्ते पर। न कोई उसका लक्ष्य है और न ही उसकी योजना। फिर भी भागे जा रहा वो पानी आगे आगे को।। कितने… Read More