कलम और तीर देते है लोगों को घाव सदा। कमल का उपयोग करते है कवि और लेखक गण। तीर का करते है उपयोग रणभूमि में योध्दागण। कामयाबी सदा मिलती है इनके उपयोग करने पर।। कवि लेखक की लेखनी से बदलते… Read More

कलम और तीर देते है लोगों को घाव सदा। कमल का उपयोग करते है कवि और लेखक गण। तीर का करते है उपयोग रणभूमि में योध्दागण। कामयाबी सदा मिलती है इनके उपयोग करने पर।। कवि लेखक की लेखनी से बदलते… Read More
इस राखी पर भैया मुझे, बस यही तोहफा देना तुम। रखोगे ख्याल माँ-बाप का, बस यही एक वचन देना तुम , बेटी हूँ मैं शायद ससुराल से रोज़ न आ पाऊंगी। जब भी पीहर आऊंगी, इक मेहमान बनकर आऊंगी। पर… Read More
सारे जग में सबसे सच्चा। होता भाई बहिन का प्यार। संजय भैया का है कहना। राखी बांधो प्यारी बहना../ सावन की मस्ती ली फुहार। मधुरिम संगीत सुनती है। मेघों की ढोल ताप पर। वसुंधरा बहुत मुस्काती है…। आया सावन का… Read More
हो बातें कही से भी शुरू पर खत्म मुश्कराहट से हो। ऐसे विचारो को सोचे और फिर उन्हें ही बोले। कर पाओगें यदि जीवन में तो जिंदगी खुशी से बिताओगें। और हर किसी के दिल में सदा ही तुम राज… Read More
तेरे मेरे रिश्ते के किस्से बहुत माशूर है। हर दिल जुबान से लोग सुनाते रहते है। जिससे वीरान पड़े बाग आबाद होने लगे है। चारो तरफ खुशयाली अब देखो छा ने लगी है।। मोहब्बत करने का अब नजरिया भी बदलने… Read More
मैं हिन्दी का बेटा हूँ हिन्दी के लिए जीत हूँ। हिन्दी में ही लिखता हूँ हिन्दी को ही पढ़ता हूँ। मेरी हर एक सांस पर हिन्दी का ही साया है। इसलिए मैं हिन्दी पर समर्पित करता अपना जीवन।। करें हिन्दी… Read More
विजय झा ने शराब की तस्करी करके करोड़ों की संपत्ति अर्जित कर ली थी और अब उसने अपने काले धन को सफेद करने के लिए एक स्कूल खोल लिया था। उसने उस स्कूल का नाम अपने इकलौते बेटे अभिज्ञान के… Read More
सुनता हूँ आज मैं मानव जीवन की सच्चाई। न जीवन में हुआ कभी गमो का अंत। न खुशियों में आई कभी भी कोई कमी। गुजरा है मेरा जीवन खुशियों और गमों से।। इसी तरह से जीवन बना रहा संघर्षमय। हकीकत… Read More
“चल, भाग यहां से “ जैसे ही उसने सुना ,वो अपनी जगह से थोड़ी दूर खिसक गयी।वहीं से उसने इस बात पर गौर किया कि भंडारा खत्म हो चुका था। बचा -खुचा सामान भंडार गृह में रखा जा चुका था… Read More
दुनिया को खुश रखते-रखते ख़ुद ही गम में डूब गया हूँ स्वार्थ भरी दुनियादारी से मैं अब मन से ऊब गया हूँ इतना भी आसान नहीं है हँसना और हँसाते रहना भीतर-भीतर टूटते रहना बाहर से मुस्काते रहना घर-परिवार-समाज है… Read More