सुनता हूँ आज मैं
मानव जीवन की सच्चाई।
न जीवन में हुआ
कभी गमो का अंत।
न खुशियों में आई
कभी भी कोई कमी।
गुजरा है मेरा जीवन
खुशियों और गमों से।।
इसी तरह से जीवन
बना रहा संघर्षमय।
हकीकत जीवन की में
सदा समझता रहा।
कदम कदम पर मिली
मुझे प्रभुजी की कृपा।
इसलिए सफलता की
मैं सीढ़ी चढ़ता गया।।
जब भी याद आते है
मुझे वो पुराने दिन।
तो आँसू गिरने लगते है
मेरे इन आँखो से।
और खो जाता हूँ माँफ
पुराने मित्रों के ख्यालों में।
जो मेरे सुख दुख में
सदा ही साथ देते थे।।
लगन और मेहनत के द्वारा
इंसान बनता है महान।
तभी तो छु पाता है
जीवन की ऊँचाइयों को।
अकेला चलकर भी वो
नया निर्माण करता है।
और अपने हौसलों को भी
सदा ही जिंदा रखता है।।