narisakti

दिखाये आँखें वो हमें जब
मनका काम न हो उसका।
तब बहाना ढूँढती रही
हमें शर्मीदा करने का।
यदि इस दौरान कुछ
उससे पूछ लिया तुमने।
तो समझ लो तुम्हारी
अब खैर नहीं है।।

अलग अलग तरह के
रूप देखने को मिलेंगे।
कभी राधा तो कभी दुर्गा
और कभीकभी शेरनी का।
समझ नहीं पाता पुरुष
नारी के इतने रूपों को।
इसलिए शांति से वो
सब कुछ सुनता रहता।।

नारी की गुस्सा से
पुरुष बहुत डरता है।
घर की शांति के लिए
वो खुद चुपचाप सा रहता।
इसी बात का फायदा
सदा वो उठती रहती है।
और अपनी मन मानी
वो घर में करती रहती है।।

बहुत सहनशील धैर्यबान और
कुशल प्रबंधक भी नारी होती।
और अपने घर और बाहर का
ख्याल भी बड़ी खूबी से रखती।
तभी तो नारी को लक्ष्मी दुर्गा
और अन्नपूर्णमा कहाँ जाता।
तभी वो घरको स्वर्ग और
नरक स्वयं बनाकर रखती है।।

नारी के रूपों को कोई
समझ ही नहीं पाया है।
कितने देवतागण भी
देवियों से हारे है।
और उनकी हाँ में हाँ मिलने
सदा तत् पर वो रहते हैं।
तभी तो नारियों की शक्ति
माँ पार्वती जी को कहते।।

पुरुष की हर सफलता में
नारी का बड़ा हाथ होता है।
उसकी सफलता के लिए
वो प्रार्थनायें उपास करती है।
और अपने पति के लिए
सदा उसका साथ देती है।
बड़े ही धैर्य से वो
उसका कष्ट हर लेती है।।

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