चूमती है सफलता
उस समय कदम।
जब लक्ष्य हो अपना
नेकी पर चलने का।
है अगर निस्वार्थ भाव
यदि स्वयं के अंदर।
तो मिलेगा फल निश्चित
अपने नेक कर्मो का।।
देखकर बहुत जलते
रहते है तुम से।
पर तुम्हारे त्याग को
वो समझते नहीं।
खैरात में नहीं मिलती
कामयाबी किसी को।
पुरुषार्थ इसके लिए
बहुत करना पड़ता है।।
मुश्किलों का दौर भी
सहन लेता है धैर्यवान।
हँसते हुए निकलकर और
कठिनाईयों को चीरकर।
अपनी मंजिलो को
हाँसिल कर लेता है।
और नेकी का परिणाम
दुनियाँ को दिखा देता है।।