ग़ज़ल : कीमत क्या है 

लोग दे जाते हैं मुझको तो मुफ्त में बस यूं ही किसी और से पूंछो कि गम की कीमत क्या है दे देता है जान भी अपनी मोहब्बत के नाम पर कभी पतंगे से पूंछो कि उसकी कीमत क्या है… Read More

व्यंग्य : पंडी ऑन द वे

जिस प्रकार नदियों के तट पर पंडों के बिना आपको मोक्ष की प्राप्ति नहीं हो सकती, गंगा मैया आपका आचमन और सूर्य देव आपका अर्ध्य स्वीकार नहीं कर सकते जब तक उसमें किसी पण्डे का दिशा निर्देश ना टैग हो,… Read More

लॉकडाउन में रामायण और महाभारत की सफलता ने दिए बड़े बदलाव के संकेत

बी. आर. चोपड़ा जी की महाभारत और रामानंद सागर जी के रामायण के सामने धाराशायी हुए मूर्खतापूर्ण सीरियल। दूरदर्शन पे प्रसारित इन दोनों सीरियल की TRP को देखते हुए Star दिखाने जा रहा है सागर जी की रामायण जबकि Colors करेगा… Read More

मुक्तक : मोहब्बत करता हूँ नहीं

मैं मोहब्बत करता हूँ नहीं, मोहब्बत हो जाती है लेकिन कोई निभाती नहीं,शरारत हो जाती है कभी श्याम दीवाना था, अभी अँचल दीवाना है दिलों के क़ैद में खून की तिजारत हो जाती है। अब तेरी  यादों  में मुझे  नहीं … Read More

Karl Marx

जन्मदिन पर विशेष : कार्ल मार्क्स

कार्ल मार्क्स आधुनिक इतिहास के सबसे प्रभावशाली राजनीतिक चिंतक दुनिया के मजदूरों एकजुट हो जाओ, तुम्हारे पास खोने को कुछ भी नहीं है, सिवाय अपनी जंजीरों के। इस प्रसिद्ध नारे ने 20 वीं सदी के प्रारंभ में दुनिया में काफी… Read More

संगीत के सरताज नौशाद : पुण्यतिथि पर विशेष 

आपको पाक़ीज़ा फिल्म में मीना कुमारी पर फिल्माए गए लता मंगेशकर के लाजवाब गीत यूं ही कोई मिल गया था सरेराह चलते चलते  और ठाड़े रहियो ओ बांके यार  गीत याद हैं? इन  बेहतरीन नगमों का संगीत निर्देशन जिस शख्स… Read More

कविता : दिखने लगी है साफ साफ (डॉ. विजय कु. मिश्र)

हमारा सोचना कि हम जोर लगा दें तो पत्थर को भी पानी बना सकते हैं हमारा सोचना कि हम उछाल दें पत्थर तबियत से तो सुराख कर सकते हैं आसमान में हमारा सोचना भर था। ऐसी बहुत सी चीजें जो… Read More

कविता : प्रस्थान बिंदु (डॉ. विजय कु. मिश्र)

मछलियाँ नहीं जानती लेना प्रतिशोध वे नहीं पहचान पाती उस मछेरे को जिसने फँसाया उसे अपने जाल में वे तो जानती हैं बस तड़पना तड़प तड़प कर मरना नदी से विच्छिन्न हो दरअसल वे परिचित हैं भलीभाँति अपने इतिहास से… Read More

कविता : अक्षय तूणीर (डॉ. विजय कु. मिश्र)

कर दिया था प्रवाहित जल में अग्निदेव के निर्देश पर अर्जुन ने पांडवों के महाप्रस्थान के समय अपना गांडीव और उसी के साथ अपना अक्षय तूणीर भी जो पाया था उन्होंने अपनी साधना से स्वयं शिव से सृष्टि के कल्याण… Read More