लोग दे जाते हैं मुझको तो मुफ्त में बस यूं ही
किसी और से पूंछो कि गम की कीमत क्या है
दे देता है जान भी अपनी मोहब्बत के नाम पर
कभी पतंगे से पूंछो कि उसकी कीमत क्या है
भटकता है उम्र भर बाप अपने बच्चों के वास्ते
कभी बच्चों से पूंछो कि बाप की कीमत क्या है
यारो मुफ्त में मिलती हैं सब कुदरत की नेमतें
कभी हवा से भी पूंछो कि उसकी कीमत क्या है
माँ मरती है उम्र भर बच्चों की ख़ुशी के वास्ते
माँ की ममता से पूंछो कि उसकी कीमत क्या है
क्यों सर खपाते हो वास्ते हर किसी के “मिश्र”
कभी जमाने से पूंछो कि तुम्हारी कीमत क्या है