सभ्यताओं का भी अपना ही हिसाब होता है अपना ही ढंग होता है अपने ही ढंग से बनती हैं सभ्यताएं अपने ही ढंग से ढहती हैं सभ्यताएं। ढहने के साथ ही कुछ सभ्यताएं अपने पीछे छोड़ जाती हैं ऐसे चिन्ह… Read More

सभ्यताओं का भी अपना ही हिसाब होता है अपना ही ढंग होता है अपने ही ढंग से बनती हैं सभ्यताएं अपने ही ढंग से ढहती हैं सभ्यताएं। ढहने के साथ ही कुछ सभ्यताएं अपने पीछे छोड़ जाती हैं ऐसे चिन्ह… Read More
यद्यपि पूरे विश्व मे कोरोना महामारी का आर्थिक प्रभाव अब स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा, उसके बाद भी भारत की स्थिति अभी उतनी विकट नही है, जहां बड़े बड़े विकसित देशों पर इसके प्रभाव पड़ रहा,वहाँ भारत जैसी मिश्रित… Read More
“परनिंदा जे रस ले करिहैं निसच्य ही चमगादुर बनिहैं” अर्थात जो दूसरों की निंदा करेगा वो अगले जन्म में चमगादड़ बनेगा। परनिंदा का अपना सुख है,ये विटामिन है,प्रोटीन डाइट है और साहित्यकार के लिये तो प्राण वायु है। परनिंदा एक… Read More
खुले आसमान के नीचे जब भी मैं चाँद को निहारती हूँ । मन ही मन बस यही सोचती और विचारती हूँ ॥ इतनी शीतल इतनी निश्छल कोई कैसे हो सकती है । माँ वो है जिसके आशीष से मेरी जीवन… Read More
!! अम्मा !! अम्मा ! तुझ बिन सब है झूठा। मेरी ख़ातिर अम्मा मेरी, तूने कितने दुःख झेले थे। तेरी स्नेहमयी गोदी में, उझल-उझल के हम खेले थे। नियती ने सब खेल बिगड़ा, कालग्रास ने सपना लूटा। अम्मा तुझ बिन… Read More
‘मां’ इस शब्द का मेरे जीवन पर गहरा प्रभाव रहा है । वैसे तो हर किसी पर रहता है, सही तथा गलत दोनों मायनों में । मां के कारण ही अनाथ बच्चों को भी बनते देखा है और मां के… Read More
अस्पताल में पलंग पर लेटा था मैं मेरी हालत को देख लहू सुख गया था मां का रोने में भी असमर्थ बैठी थी आँसू भी सूख गये थे उसके शून्यता में डूबी एकटक देखती रह गयी थी नहीं निकल पाया… Read More
हमें इस संसार में लाने वाली एक महिला ही है, जिसके द्वारा हमारा जन्म इस पृथ्वी पर हुआ और उसे हम सब अपनी जननी, माँ, माता और आई आदि अनेक नमो से सम्बोधन करते है। उसके ही त्याग तपस्या के… Read More
सुबह मेरे मोबाइल में अलार्म के साथ कैलेंडर रिमाइंडर की भी घंटी बजी, जिस पे लिखा था आज मदर्स डे है| ईमानदारी से कहूँ, मुझे याद भी नहीं था कि आज कोई ऐसा दिन भी है, कभी सोचा ही नहीं,… Read More