indian mother paintaing

अस्पताल में

पलंग पर लेटा था मैं

मेरी हालत को देख

लहू सुख गया था मां का

रोने में भी असमर्थ बैठी थी

आँसू भी सूख गये थे उसके

शून्यता में डूबी एकटक

देखती रह गयी थी

नहीं निकल पाया था एक शब्द भी 

माँ के मुँह से 

कितनी आशाएँ थीं उसके अंदर

मुझे लेकर

कामना करती थी मन ही मन

कि बनूँ मै बड़ा अधिकारी 

जीऊँ मान – सम्मान के साथ 

बहुत दूर चली गयीं अब 

वे सभी आशाएँ

निराशा बैठी थी उसके अंदर 

सहानुभूति के घेरे में

अपने आपको संभालना 

नहीं रह गया था सामान्य 

मैंने खूब मेहनत की थी 

ग्रंथालय की सारी पुस्तकें पढ़ डाली थी

पढ़ते – पढ़ते सुध खो जाता,

पुस्तक में शीश छिपकार रह जाता था 

फिर भी अनिश्चित भविष्य 

मेरा क्या हो गया 

यही सोचते एक दिन

बेहोश होकर गिर गया था

आँखें खुली तो

माँ मेरे सामने खड़ी थी

मेरी आँखों से टपकते आँसू

माँ से माफी माँगते थे

अब मैं स्वस्थ हूँ

नौकरी करता हूँ

माँ मेरे साथ नहीं है

रोता हूँ, बहुत रोता हूँ

जानता हूँ 

फिर से इस दुनिया में माँ नहीं आयेगी

वह मेरे साथ कभी भी नहीं रह पायेगी

वेदना से भरे हृदय में

माँ को देखता हूँ

उनको निरंतर याद करता हूँ

मेरा बेटा पास आकर

मेरे सिर पर हाथ फेरता है

मेरी आँखों में देखकर

मेरे आँसू पोंछता है

मै अपनी मां में समाया होता हूँ ।

About Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *