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कविता : माँ तेरी गोद में

वो जन्नत सा सुख कहाँ इस जग में , है जो माँ तेरी गोद में …. जब से मैने आँखें खोली , पाया खुद को तेरी झोली में , इस मखमली कोमल बिछावन में , वो चैन की नींद कहाँ… Read More

कविता : लेखा जोखा

हनन और दमन तुम  दूसरों का कर रहे हो। उसकी आग में अपने भी जल रहे हैं। कब तक तुम दुसरो को ररुलाओगें। एक दिन इस आग में खुद भी जल जाओगों। और अपने किये पर बहुत पषताओगें। पर उस… Read More

कविता : मनुष्य क्या है

संजय कहता है,  की खुद”को I खुद के अंदर, ही सर्च करो I अपने कर्माें पर भी, कभी तो रिसर्च करो। तभी हमें जीवन का, सही मूल्यांकन मिलेगा। हम कितने सही और, कितने गलत हैI यही पर हमें और, आप… Read More

mera dil sochta hai

कविता : दिल सोचता है

मेरे दिल कि सरहद  को पार न करना नाज़ुक है दिल मेरा वार न करना खुद से बढ़कर भरोसा है मुझे तुम पर इस भरोसे को तुम बेकार न करना । दूरियों की ना  परवाह कीजिए दिल जब भी पुकारे… Read More

poem barbadi ki rah

कविता : बर्बादी की राह

किताबो में पढ़ कर, रेडियो में सुन कर। कहानियां मोहब्बत की, बड़े बूड़ो से सुनकर। मोहब्बत करने का मन, दिल में पनापने लगा। और लगा बैठे दिल अपना, अपने पड़ोसी की लड़की से।। अब न दिल धड़कता है, न सांसे… Read More

कविता : दूरियाँ बन गई

नहीं रहेगा आपस में, मेल जोल इंसानो में। तो कहां से जिंदा रहेगी, इंसानियत अब दिलो में। रिश्ते नाते भी अब, मात्र नाम के रह गये। न आना न जाना घर पर, बस दूर से ही नमस्कार।। जब दूरियाँ बनाकर… Read More

poem darkhat ka dard

कविता : दरख्त का दर्द

साहब ने एसी रूम में बैठ नो आब्जेक्शन लिख दिया चंद मिनटों में ही लकड़हारों ने मेरा वजूद मिटा दिया। दशकों तक हवा-पानी पाकर बड़ी हुई थी टहनियां। मेरे बड़े पत्ते तपती धूप में राहगीरों को देते थे छाया। बारिश… Read More

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कविता : इस कुदरत से अब डरना सीख ले

शुक्र है खुदा का कि तू अपने घर में है तू उसकी सोच जो मौत की डगर मैं है ये घूमने फिरने की चाहत को भूल जा यारा हर किसी की ज़िंदगी अधर में है ये इंसानियत नहीं सिर्फ अपनी… Read More

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कविता : सबको मज़ाक लगता है

अब तो मेरा दर्द भी, सबको मज़ाक लगता है मेरा तो अब रोना भी, सबको मज़ाक लगता है कर देते हैं कभी दोस्त ज़िक्र मेरे हालात का, यारों का ये जज़्बा भी, सबको मज़ाक लगता है भला इस बेखबर दुनिया… Read More

On apartheid incident in America

कविता : राजनीति और काला

रंगों की होती है राजनीति आखिर किसने बनाया काले रंग को शोक का प्रतीक और सफेद को शांति का काला मुझे तो बहुत भाता है काली शर्ट काली टी शर्ट और काली पैंट काले लोग मुझे उतने अच्छे नहीं लगते… Read More