poem sore woman mind

कविता : व्यथा स्त्री मन की

मैं स्त्री हूँ …. हाँ, मैं वही स्त्री हूँ, जिसे इस पुरूष प्रधान समाज ने, हमेशा हीं प्रताड़ित किया है। हाँ, वही समाज जिसने, मेरे प्रति अत्याचार किया, व्यभिचार किया और, मेरी इस दयनीय स्थिति का पूर्णत: ज़िम्मेदार भी है।… Read More

poem phir tandav karna hoga

कविता : फिर तांडव करना होगा

हे नारी ! आखिर कब तक सहेगी तू , अबला बन, प्रताड़ित होती रहेगी तू , बहुत हो चुका, दूसरों के लिए जीना मरना , अब तो तुझे खुद के लिए लड़ना होगा माँगना नहीं अधिकार, तुझे छिनना होगा, दिखला… Read More

poem sayd wahi payar hai

कविता : शायद वही है प्यार

रातों को जब नींद ना आये, दिल का चैन भी कहीं खो जाये, याद आये कोई जो बारम्बार, शायद वही है प्यार। आँखों में खुमारी सी छा जाये, सपनों में केवल वो ही वो आये, हर पल रहे जिसका इंतज़ार,… Read More

poem wo dekhti hai sapne

कविता : वो देखती है सपने

वो देखती है सपने, रात रात भर जाग के, चाँद तारों को आसमां में निहारते, वो देखती है सपने । वो देखती है सपने, अपने पिया से मिलन के, अपने विह्वल मन को समझाते, वो देखती है सपने । वो… Read More

poem chahat lekah ki

कविता : चाहत लेखक मनोहर की

चाह नहीं मैं एम.पी. बनकर, संसद में बहस लगाऊँ चाह नहीं मैं वक्ता बनकर, दुनिया को हीं मूर्ख बनाऊँ चाह नहीं मैं पहलवान बनकर, कमजोरों को खूब सताऊँ चाह नहीं मैं मालिक बनकर, ऑर्डर नौकर पर बेहिसाब चलाऊँ चाह नहीं… Read More

poem kuch sapne the jo toot gaye

कविता : कुछ सपने थे जो टूट गए

कुछ सपने थे जो टूट गए, कुछ अपने थे जो छुट गए, पहले तो कुछ ना आभास था, यह भी होगा, ना विश्वास था, पर होनी तो होकर गुजरी, सब सगे स्नेह से लूट गए, कुछ सपने थे जो टूट… Read More

poem aatma phir teri dhdhak na jaye

कविता : आत्मा फिर तेरी धधक ना जाये

नयनों का जल ढ़रक ना जाये आत्मा फिर तेरी धधक ना जाये। नारी अपने मन की बातें, रहने दे मर्यादा में हीं तू मत कर बेवजह की बातें, आग ना लगा तू तन मन में आज नहीं आयेंगे कान्हा जग… Read More

poem kese jiya jaye tum bin

कविता : कैसे जिया जाये तुम बिन ?

कैसे बताऊँ क्या हो गई ? मेरी ज़िन्दगी तुम बिन, बोझिल सी हो गई, ये ज़िन्दगी तुम बिन, खो गई कहीं दिल की, हर ख़ुशी तुम बिन, गुमसुम सी हो गई, ज़िन्दगी तुम बिन, न चाँद ना सितारे, ना नजारे… Read More

lonely boy

कविता : दिल करता है मेरा

ना जीने को दिल करता है, ना हीं मर जाने को, दिल करता है मेरा, सुन्दर – सा नगर बसाने को । जहाँ ना हो चोरी ड़कैती, ना हीं हो मर महँगाई की; जहाँ पाप समझे सब खाना, कमाई हराम… Read More

poem bhula na sake hum

कविता : जिसे भूल कर भी भुला ना सके हम

जिसे भूल कर भी भुला ना सके हम, ‘मनोहर’ उसे ना फिर कभी याद आ सके हम, जिसे भूल कर भी …. यूँ बातें बहोत की बिना बात की, पर हाल ए दिल अपना बता ना सके हम, जिसे भूल… Read More