कुछ सपने थे जो टूट गए, कुछ अपने थे जो छूट गए, पहले तो कुछ ना आभास था, यह भी होगा, ना विश्वास था, पर होनी तो होकर गुजरी, सब सगे स्नेह से लूट गए, कुछ सपने थे जो टूट… Read More
कविता : अनुभव मेरे जीवन का
आँखे झूठी, बातें झूठी, चेहरा सारा झूठा है, बाहर अंदर सारा झूठा, ईमां ही तेरा झूठा है । इस चेहरे के उपर न जाने, और भी कितनी कालिमाई है, कपट की लहरें तेरे भीतर, ना जाने कितनी गहराई हैं ।… Read More
कविता : चोट अपनों की
सोने ने पुछा एक दिन लोहे से, तू चोट लगने पर इतना चिल्लाता क्यूं है? जबकि सुनार मुझे भी तो, हतौडे से ही चोट मारता है । इतना सुनना था कि लोहे का मुख मलीन हो गया, मामला अत्यंत संगीन… Read More
कविता : अभिलाषा विदाई के समय
इस विदाई की बेला मे, कहता हूँ उपस्थित सभी से, करने की ईश्वर से प्रार्थना, करने की जीवन में कुछ ऐसा, जो कल्याणकारी और आदर्श हो सबका, करें आज हम समय से यही कामना, लेकर माता – पिता और गुरु… Read More
विरांगना – पत्नी एक शहीद की
सेज सुहाग पर, सुहाग के लाल जोड़े में, मेंहंदी तेरे नाम की रचाये, शर्म की घुंघट ओढ़े, बैठी थी तेरे इंतजार में, तुम जो धीरे से आये, इस चाँद से मुखड़े को, पास बैठ लेकर हांथों में, मुसकुराये, घुंघट उठाये,… Read More
कविता : हे मेरे परम पूजनीय बाप !
हे मेरे परम पूजनीय बाप ! आखिर कब तक वानप्रस्थ लेंगे आप ? यदि अभी आप सन्यास ले लेते, बेटे पर अपने उपकार तो कर जाते | खांस-खांस कर शोर मचाते और, नकली दांत कटकता रहें हैं | रीटायर होने… Read More
कविता : प्रेम एक प्यारा सा एहसास
प्रेम एक एहसास है | प्रेम, मेरी धड़कन, मेरी हर श्वाँस है | क्या है यह एहसास ? वो ख्या बता पायेगा ? जो इसका अर्थ हीं ना जान पाया, और बनाता है काम-आसक्ती से इसका मजाक | प्रेम- एक… Read More
कविता : उनके लिए मेरा मन क्यों उदास है
रौनक भरी उनकी इस महफ़िल में, उनके लिए मेरा मन क्यों उदास है? खड़ें हैं सामने उनके सभी भीड़ में, नहीं वो क्यों मेरे पास हैं? चारों ओर शोर ठहाका नजारों में, पर होंठ क्यों मेरे चुपचाप हैं? सभी व्यस्त… Read More
कविता : मुकद्दर मजदूर का
रात भर सपनों में खुशहाल संसार देखा, सुबह हुई तो काँच सा बिखरा हुआ मंजर देखा, चहुं ओर चिल्लाती चिखती खामोशी दिखी, वही काँपती हाथ और वही बिफरा मजदूर दिखा | चाहता है ‘मनोहर’ भी, हर मजदूर का लेखा बदलना,… Read More
कविता : औरत तेरी ज़िन्दगी का एक क्षण
प्यास बुझाये अरमानों की जो, जी लें हम एक क्षण वो, क्यों ज़िन्दगी का वह एक क्षण नहीं मिलता ? तन का मिलना भी क्या मिलना, जो मन से समर्पन नहीं मिलता, क्यों ज़िन्दगी में वह प्रेम का क्षण नहीं… Read More