poem-prem-eak-ehsas-hai

प्रेम एक एहसास है |
प्रेम, मेरी धड़कन,
मेरी हर श्वाँस है |
क्या है यह एहसास ?
वो ख्या बता पायेगा ?
जो इसका अर्थ हीं ना जान पाया,
और बनाता है काम-आसक्ती से इसका मजाक |
प्रेम- एक प्यारा सा एहसास |

प्रेमी वह जो चेहरे पढ़ जाये |
भावनायें छूपाकर अपनी जो,
समक्ष सबके भी जोकर बन जाये |
तंहाई में भी उनकी खामोशियों के,
अर्थ निकाल उनका समाधान बन जाये |
उनकी हर बात में बेबाक बन जाये,
दिल में लिए चाहत की आस |
प्रेम- एक प्यारा सा एहसास |

प्रेम की खातिर सारे कष्ट सहकर भी,
उनके लिए खुशियों के अश्रु बहा दो |
प्रेम ड़गर के कांटे चुनकर अपनी झोली में,
अपने हिस्से की फुलवारी उनकी राह में फैला दो |
उनके आंसुओं को पलकों पर उठाकर,
अपनी इच्छाओं को उनके लिए संवारना ,
यही तो है उनके आरजुओं की प्यास |
प्रेम- एक प्यारा सा एहसास |

प्रेम हीं जीने की तमन्ना हो,
प्रेम के लिए कुर्बान ये ज़िन्दगी हो |
स्वयं के लिए ना हास ना परिहास,
पर, उनके लिए तो सारी बात हो |
हम तो ना भूलेंगे कभी, शायद
उनके लिए बेमाने मेरी हर रात हो |
उनके लिए तो हो मेरी हर उच्छवास|
प्रेम- एक प्यारा सा एहसास |

वो भूल भी जायें तो क्या ?
उनके लिए मेरा फर्ज, मेरा प्रेम,
उनके लिए हीं मेरा समर्पण हो |
दिल में तब भी चाहत हो नि:स्वार्थ,
लिए उनसे मिलन की एकमात्र फरियाद
प्रेम- एक प्यारा सा एहसास |

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