ना जीने को दिल करता है,
ना हीं मर जाने को,
दिल करता है मेरा,
सुन्दर – सा नगर बसाने को ।
जहाँ ना हो चोरी ड़कैती,
ना हीं हो मर महँगाई की;
जहाँ पाप समझे सब खाना,
कमाई हराम की ।
जो संभाल सके इस,
बिगडते हुए ज़माने को,
दिल करता है मेरा,
ऐसा नगर बसाने को ।
जहाँ अलग – अलग ना हों,
बात गीता, बाईबिल, कुरान की
ना जात-पात, ऊँच-नीच हो,
जहाँ सब हों एक समान ।
जहाँ राम-कृष्ण, नानक , ईसा,
सब आयें जीना सीखाने को,
दिल करता है मेरा,
सुन्दर सा नगर बसाने को ।