poem kese jiya jaye tum bin

कैसे बताऊँ क्या हो गई ?
मेरी ज़िन्दगी तुम बिन,
बोझिल सी हो गई,
ये ज़िन्दगी तुम बिन,

खो गई कहीं दिल की,
हर ख़ुशी तुम बिन,
गुमसुम सी हो गई,
ज़िन्दगी तुम बिन,

न चाँद ना सितारे,
ना नजारे तुम बिन,
नहीं कुछ जीवन में,
भाता अब तुम बिन,

बहारों के मौसम में भी,
उदासी छाई तुम बिन,
बसंत भी पतझड़ सा,
अब लगे तुम बिन,

बहुत सताया है य़ादों ने तेरी,
जग भूला तुम बिन,
तुम हीं बताओ कि
कैसे जिया जाये तुम बिन |

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