हम जात पात में पड़े रहेंगे। और देश को बर्बाद करेंगे। दूसरे देश प्रगति को चुनेंगे। और विश्व में पहचान बनाएंगे।। गये थे जब अंग्रेज देश से तो जाति का बीज वो गये थे। जिससे आपसी भाई चारा देश में… Read More
कविता : कैसी आधुनिकता
पहले चिट्ठी आती थी पढ़ते थे हफ्तों तक फोन पर अब तो बाते हुई सीमित जैसे छोटे हो दिन।। वो भी क्या दिन थे, जब मिल घंटो बतियाते थे अब चलते – चलते मुलाकाते हुई।। सावन के झूले तीज त्यौहार… Read More
कविता : मकर संक्रांति का संदेश
राम को जपो श्याम को जपो जपो ब्रम्हा विष्णु महेश को। पर मत छीनो लोगों से तुम उनके अधिकारो। राष्ट्र चरित्र का तुम सब कब करोंगे निर्माण? बहुत हुआ खेल अब जाति धर्म का देश में। कुछ तो अब शरम… Read More
कविता : मकर संक्रांति आई है
मकर संक्रांति आई है एक नई क्रांति लाई है निकलेंगे घरों से हम तोड़ बंधनों को सब जकड़ें हैं जिसमें सर्दी से बर्फ़ शीत की गर्दी से हटा तन से रजाई है मकर संक्रांति आई है एक नई क्रांति लाई… Read More
कविता : औरतों की जिंदगी में
औरतों की जिंदगी में, अब नही आता बसंत, मन में सपनों को, नही जगाता बसंत। खूनी आँखों से जल, जाता है बसंत, दु :शासनों से बहुत, घबराता है बसंत। गौरी खेतों में, जाने से डरती है, उसकी पायल भी, नही… Read More
कविता : नव वर्ष 2021 दे आपको…
करे न कोई गम अब जाते हुए 2020 का। जो बीता सो बीता अब गुजर गया साल। सीखा गया जाते जाते लोगों के दिल में प्रेमभाव। नहीं आया विपत्ति में धन-दौलत अब की बार। भूला कर अपने सारे गम करें… Read More
कविता : बदलता परिवेश
विकासशील देशों की तर्ज पर कभी उम्र का विस्तार नहीं होता इसके चलते बुजुर्गो का सम्मान नहीं होता।। प्रशिक्षित चिकित्सा ही विकल्प नहीं स्वास्थ के लिए जागरूकता का अभियान भी होगा अब तो अपनी जीवनशैली को बदलना होगा आगे आकर… Read More
कविता : शरद ऋतु
श्वेत चंद्रमा रजत रश्मियां, रूप यौवन से अपनी छटा बिखेर रहा।। ओस की बूंदें बरस रही रूप यौवन से लदे, खिल रहे खेत सारे।। सुंदर रूप हुआ धरा का फूलों की खुशबू से महका आंचल वसुंधरा का।। सतरंगी पुष्प-लताओं ने… Read More
कविता : मिलने से याद आये
जब अपने मिल जाते हैं खुशी से मन इतराता है। छलक जाते है आँसू पुरानी यादें आने पर। खुशी के वो सारे पल सामने आने लगते है। और हम खो जाते हैं उन बीते हुए दिनों में।। भूलकर भी भूलता… Read More
कविता : औरत
औरत मात्र तन नहीं, एक मन भी होती है। जिसके मन के समंदर में, तैरती है सपनों की नाव। जो चाहती है पाना अपने, खोये हुए वजूद को। दिखाना चाहती है अपने, अंदर छिपी प्रतिभाओं को। महसूस कराना चाहती है,… Read More