औरत मात्र तन नहीं,
एक मन भी होती है।
जिसके मन के समंदर में,
तैरती है सपनों की नाव।
जो चाहती है पाना अपने,
खोये हुए वजूद को।
दिखाना चाहती है अपने,
अंदर छिपी प्रतिभाओं को।
महसूस कराना चाहती है,
अपने अहसासों को।
उसकी आँखों के धारों में,
मछलियों से रंगीन सपने तैरते हैं।
वह कुछ कहना चाहती है।
औरत मात्र तन नहीं,
एक मन भी होती है।