poem aurto ki zindagi me

कविता : औरतों की जिंदगी में

औरतों की जिंदगी में, अब नही आता बसंत, मन में सपनों को, नही जगाता बसंत। खूनी आँखों से जल, जाता है बसंत, दु :शासनों से बहुत, घबराता है बसंत। गौरी खेतों में, जाने से डरती है, उसकी पायल भी, नही… Read More

aurat

कविता : औरत

औरत मात्र  तन नहीं, एक मन भी होती है। जिसके मन के समंदर में, तैरती है सपनों की नाव। जो चाहती है पाना अपने, खोये हुए वजूद को। दिखाना चाहती है अपने, अंदर छिपी प्रतिभाओं को। महसूस कराना चाहती है,… Read More