मकर संक्रांति आई है
एक नई क्रांति लाई है
निकलेंगे घरों से हम
तोड़ बंधनों को सब
जकड़ें हैं जिसमें सर्दी से
बर्फ़ शीत की गर्दी से
हटा तन से रजाई है
मकर संक्रांति आई है
एक नई क्रांति लाई है,
मन में नई मस्ती आई है
तन में भी चुस्ती आई है
गुलज़ार सभी अब बस्ती है
समान सभी तो हस्ती है
कोई ऊंच नीच दुनियाँ में
यह बात बताने आई है
मकर संक्रांति आई है
एक नई क्रांति लाई है
निकलेंगे घरों से हम
तोड़ बंधनों को सब
जकड़ें हैं जिसमें सर्दी से
बर्फ़ शीत की गर्दी से
हटा तन से रजाई है
मकर संक्रांति आई है
एक नई क्रांति लाई है,
हर चेहरा हैं हँसता हँसता
फूल कली भी खिलता खिलता
तितली बागों में आई है
मचलती लेती अंगड़ाई है
भौरों को नहीं सुहाई है
मकर संक्रांति आई है
एक नई क्रांति लाई है
निकलेंगे घरों से हम
तोड़ बंधनों को सब
जकड़ें हैं जिसमें सर्दी से
बर्फ़ शीत की गर्दी से
हटा तन से रजाई हैं
मकर संक्रांति आई है
एक नई क्रांति लाई हैं,
गुड़ तिल औऱ मूंगफली
दान पुण्य और मिला मिली
रंगे बिरंगे पतंगों का डोर
भरा आकाश का ओर छोर
बढते रहना सबसे आगे
छोड़कर हर मुश्किल पाछे
कटे ना काँटे किसी के धागे
छोड़ भँवर में क़भी ना भागे
यह बात सबकों बतलाई है
मकर संक्रांति आई है
एक नई क्रांति लाई है।।