पहले चिट्ठी आती थी
पढ़ते थे हफ्तों तक
फोन पर अब तो
बाते हुई सीमित
जैसे छोटे हो दिन।।
वो भी क्या दिन थे,
जब मिल घंटो बतियाते थे
अब चलते – चलते मुलाकाते हुई।।
सावन के झूले
तीज त्यौहार सब
अब मोबाइल में मनाते हैं
सालों बीते जब साथ मिलकर मनाते थे।।
सेल्फी के चक्कर में मेकअप करते
हंसी को फोटो फोटो में कैद करते
एक मिनिट की हसी फिर
उदास सा मुंह बनाए फिरते।।
पास के रिश्तों को
निभा नहीं पाते
दूर के रिश्ते को निभाते हैं
एफबी, वॉट्सएप, इंस्टा
से जोड़ लिया नाता
सोशल मीडिया बनी साथी
अपनों से तोड़ा नाता।।
फ्रेंड्स, रिलेटिव के सामने
मां, बाप को तहज़ीब सीखते
हाय, हेलो बात करने का तरकीब बताते
मोबाइल पर उनके लिए अपनापन दिखाते
फिर पीछे से हम उन्हें डाट लगाते।।
एक कोने में बैठी
बूढ़ी मां
उसका दर्द देख नहीं पाते
ओर कही किसी की
स्टोरी पढ़ लाइक,
कॉमेंट्स कर आते।।